शामली:मजदूरों को पुलिस ने हरियाणा बार्डर से वापस भेजा तो जानें श्रमिकों ने कौन सा रास्ता चुना
punjabkesari.in Wednesday, Apr 29, 2020 - 05:42 PM (IST)
शामली: लॉकडाउन में काम बंद हो जाने से भूख-प्यास से घिरे प्रवासी मजदूर अब घर पहुंचने के लिए खुद की जान को भी दांव पर लगाने से नहीं चूक रहे हैं। ऐसा ही नजारा बार्डर हरियाणा पर देखने को मिला। जहां पर प्रवासी मजदूर अपने घर को जाने के लिए यमुना के किनारे से छुप कर निकल रहे है।
बता दें कि प्रदेश की योगी सरकार विभिन्न राज्यों में क्वारेंटीन किए गए प्रवासी मजदूरों को वापस बुला रही है। इसके लिए कई नियम बनाए गए हैं। सरकार के इस फैसले में सिर्फ वें ही प्रवासी मजदूर शामिल हैं, जो गैर राज्यों में 14 दिनों क्वारेंटीन रह चुके हैं।इन मज़दूरों को सरकार वापस ला रही है। अब इन मजदूरों को अपने गृह जनपद में 14 दिन क्वारेंटीन रखा जा रहा है। ऐसे में घर पहुंचने से पहले 28 दिनों की दूरी अन्य मजदूरों को सरकार के इस फैसले से किनारा करने को मजबूर कर रही है। ऐसे मजदूर अब क्वारेंटीन होने के बजाय लुक—छिप कर अपनी जान जोखिम में डालते हुए घरों तक पहुंचने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गुरूप्रसाद और राजेश सेे जब मीडिया कर्मी ने पूछा तो उसने अपना दर्द सुनाया। लॉकडाउन के चलते पटियाला में फंस गए थे। मजदूरी नहीं मिलने के कारण खाने पीने का सामान भी खत्म हो गया। उन्होंने कहा कि पटियाला में ही पुरानी साईकिलें खरीद कर वापस सिद्धार्थनगर लौटने की ठान ली। पटियाला से सिद्धार्थनगर करीब 795 किलोमीटर का रास्ता है। अंबाला के रास्ते यें दोनों मजदूर अन्य दर्जनों मजदूरों के साथ शामली जिले के झिंझाना थाना क्षेत्र में पडऩे वाले यूपी—हरियाणा बॉर्डर तक पहुंच गए, लेकिन यहां पर पुलिस ने इन्हें रोकते हुए वापस लौटा दिया। लेकिन इन मजदूरों ने वापस लौटने के बाद यमुना की नदी के किनारे होते हुए अपने गंतब्य को फिर चल दिए। मजदूरों का कहना है भूख से तो पहले ही मर जाएगे, इधर कुआं, उधर खाई..जाएं तो जाएं कहां ? इसलिए हम लोग घर जाने की ठान ली है।