Misrikh Lok Sabha Seat: त्रिकोणीय मुकाबले के बन रहे आसार, पासी बिरादरी के गढ़ में कौन मारेगा बाजी ?
punjabkesari.in Friday, Apr 05, 2024 - 06:31 PM (IST)

Lok Sabha Election 2024: मिश्रिख सुरक्षित उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से एक लोकसभा सीट है। भारतीय हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे महान ऋषि में से एक महर्षि दधीचि का जन्म यहीं हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन यहीं बिताया था, इसलिए यह क्षेत्र दधीचि कुंड की वजह से भी प्रसिद्ध है। अगर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें, तो ये सीट साल 1962 में वजूद में आई थी। साल 1962 में इस सीट पर पहली बार हुए चुनाव में जनसंघ के गोकर्ण प्रसाद ने जीत हासिल की थी। जिसके बाद साल 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस के संकटा प्रसाद ने जीत का परचम लहराया। जबकि आपातकाल के बाद साल 1977 के चुनाव में जनता पार्टी से रामलाल राही जीते थे, लेकिन बाद में रामलाल कांग्रेस में शामिल हो गए थे और साल 1980 में भी उन्होंने ही इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
हालांकि साल 1984 के अगले ही चुनाव में कांग्रेस ने उनकी जगह फिर से संकटा प्रसाद को टिकट दिया था और वो सांसद चुने गए थे। लेकिन साल 1989 और 1991 में फिर से रामलाल राही ने बाजी मारी और संसद पहुंचे। इस सीट पर साल 1996 में बीजेपी के परागी लाल और 1998 में बसपा के राम शंकर भार्गव ने जीत दर्ज की थी। जबकि साल 1999 में सपा ने यहां अपना खाता खोला था और सुशीला सरोज सांसद बनीं थी। उसके बाद अगले दो चुनाव साल 2004 और 2009 में बसपा के अशोक कुमार रावत ने जीत दर्ज की थी... अगर बात पिछले दो लोकसभा चुनाव की करें, तो इस लोकसभा सीट पर बीजेपी का कमल खिला है। साल 2014 में अंजू बाला और 2019 में अशोक कुमार रावत ने मोदी लहर में बाजी मारी है।
मिश्रिख लोकसभा सीट के तहत कुल 5 विधानसभा
आपको बता दें कि मिश्रिख लोकसभा सीट के तहत कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें बालामऊ सुरक्षित, संडीला, बिल्हौर सुरक्षित, मिश्रिख सुरक्षित और बिलग्राम-मल्लावां है। इनमें मिश्रिख सुरक्षित सीतापुर जिले की और बिल्हौर सुरक्षित कानपुर जिले की विधानसभा है... जबकि हरदोई जिले की बालामऊ सुरक्षित, संडीला और बिलग्राम-मल्लावां शामिल है।
साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र की सभी 5 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। हरदोई, कानपुर नगर और सीतापुर तीन जिलों की विधानसभा सीटों से मिलकर बनी ये सुरक्षित सीट पिछले एक दशक से बीजेपी का गढ़ है।
एक नजर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर
अगर बात मतदाताओं की करें, तो इस लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 79 हजार 700 है। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 67 हजार 830 है। जबकि महिला मतदाता 8 लाख 11 हजार 793 है। वहीं ट्रांसजेंडर के कुल 77 मतदाता शामिल हैं।
एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
मिश्रिख सीट पर साल 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी के अशोक रावत ने बसपा की नीलू सत्यार्थी को करीब एक लाख वोटों के अंतर से हराया था। अशोक रावत को कुल 5 लाख 34 हजार 429 वोट मिले थे, जबकि नीलू सत्यार्थी को 4 लाख 33 हजार 757 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के मंजरी राही रहे थे। मंजन राही को 26 हजार 505 वोट पड़े थे।
एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
मिश्रिख सीट पर साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर बीजेपी की अंजू बाला ने जीत हासिल की थी। अंजू बाला को 4 लाख 12 हजार 575 वोट मिले थे। जबकि बसपा के अशोक रावत 3 लाख 25 हजार 212 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं सपा के जय प्रकाश 1 लाख 94 हजार 759 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।
एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
अगर बात साल 2009 के लोकसभा चुनाव की करें, तो मिश्रिख सुरक्षित सीट पर बसपा के अशोक कुमार रावत जीते थे। रावत ने 2 लाख 7 हजार 627 वोट लेकर जीत हासिल की थी। जबकि सपा के श्याम प्रकाश दूसरे स्थान पर रहे थे। प्रकाश को 1 लाख 84 हजार 335 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के ओम प्रकाश 1 लाख 25 हजार 862 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।
एक नजर 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
अगर बात साल 2004 की करें, तो मिश्रिख लोकसभा सीट बसपा ने बाजी मारी थी। बसपा के अशोक कुमार रावत ने 2 लाख 7 हजार 62 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। जबकि सपा की सुशीला सरोज एक लाख 87 हजार 659 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं थीं। वहीं बीजेपी के पारगी लाल चाउ महज 75 हजार 714 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।
मिश्रिख लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर- 32 है। आजादी के बाद कांग्रेस का गढ़ रही इस सुरक्षित सीट पर पिछले दो चुनाव से बीजेपी का कब्जा है। साल 1967 से 1991 तक हुए 7 चुनाव में केवल एक बार साल 1977 में कांग्रेस यहां पर चुनाव हारी थी। लेकिन 1996 से इस सीट पर भाजपा और बसपा का यहां दबदबा रहा है। जबकि साल 1999 में एक बार सपा की सुशीला सरोज पर चुनाव जीतकर यहां की सांसद बनी थीं। हालांकि पिछले एक दशक यानी दो चुनाव से इस सीट पर कमल खिल रहा है। वैसे ये सीट दलित, बहुल है। पासी बिरादरी के मतदाता बड़ी तादाद में हैं। हालांकि मुस्लिम, सवर्ण और ओबीसी वर्ग का वोट भी यहां निर्णायक भूमिका में है। बीजेपी मोदी लहर में पासी, ओबीसी और सवर्ण वोट बैंक की बदौलत ही पिछले दो चुनाव इस सीट पर जीत दर्ज कर रही है।
आम चुनाव 2024 की चुनावी जंग में बीजेपी ने फिर से मौजूदा सांसद अशोक रावत पर भरोसा जताया है। जबकि सपा गठबंधन ने पहले रामपाल राजवंशी को मैदान में उतारा था। लेकिन उनको बदलकर अब मनोज कुमार राजवंशी पर अखिलेश ने दांव खेला है। वहीं बसपा की ओर से मिश्रिख लोकसभा सीट पर अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। वैसे पिछली बार बसपा प्रत्याशी नीलू सत्यार्थी इस सीट पर रनरअप रही थीं। ऐसे में इस बार यहां पर भाजपा, बसपा और सपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। अगर त्रिकोणीय मुकाबले में तीनों दल मजबूत लड़ते हैं, तो फिर बाजी किसी के भी हाथ लग सकती है।