Loksabha Election 2019: एक नजर प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर

punjabkesari.in Thursday, May 09, 2019 - 02:14 PM (IST)

मां बेल्हा देवी के दर्शनीय स्थल के साथ सई नदी के किनारे बसा प्रतापगढ़ लोकसभा सीट कई मायनों में बेहद ही महत्वपूर्ण है। सुल्तानपुर और इलाहाबाद के बीच बसा ये सीट कभी कांग्रेस का गढ़ रहा, लेकिन कई दशकों से यहां दूसरी पार्टियां भी आती जाती रही हैं। साथ ही प्रतापगढ़ आंवला उत्पादन के लिए बेहद मशहूर है। साथ ही यह सीट दशकों से राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह की पहचान बन चुकी है।
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अगर बात करें इस सीट के लोकसभा इतिहास की तो यहां हुए 15 चुनावों में कांग्रेस ने 9 बार चुनाव जीता है। पहली बार इस सीट के पर 1957 में चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस के मुनीश्वर दत्त उपाध्याय जीते। 1962 में हुए चुनाव में जनता दल से अजीत प्रताप सिंह ने कांग्रेस को मात दे दी। 1967 के चुनाव में कांग्रेस से आरडी सिंह चुनाव जीते और कांग्रेस की वापसी कराई। इसके बाद 1971 दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस से सांसद बने। दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस सरकार में विदेश मंत्री भी रहे। 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के रूप नाथ सिंह यादव संसद पहुंचे। 1980 के चुनाव में कांग्रेस के अजीत प्रताप सिंह चुनाव जीते। 1984 और 1989 के चुनाव में राजा दिनेश सिंह दुबारा चुनाव जीते, लेकिन 1991 के चुनाव में जनता दल से अभय प्रताप सिंह सांसद बने।

1996 के चुनाव में राजा दिनेश सिंह कि बेटी राजकुमारी रत्ना सिंह कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनी। 1998 के चुनाव में यहां बीजेपी का खाता खुला और राम विलास वेदांती यहां से सांसद बने, लेकिन अगले ही साल 1999 में हुए चुनाव में राजकुमारी रत्ना सिंह दुबारा चुनाव जीत गई। 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा का यहां खाता खुला और अक्षय प्रताप सिंह यहां से सांसद बने। 2009 के चुनाव में कांग्रेस की रत्ना सिंह तीसरी बार यहां से सांसद बनी। वहीं 2014 के चुनाव में बीजेपी और अपना दल के बीच हुए गठबंधन में यह सीट अपना दल को दी गई और अपना दल के कुंवर हरिबंश सिंह चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां अपना प्रत्याशी खड़ा किया है। बीजेपी से संगम लाल गुप्ता और कांग्रेस से राजकुमारी रत्ना सिंह मैदान में हैं। सपा-बसपा गठबंधन की ओर बसपा ने अशोक कुमार त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार है, लेकिन लड़ाई में राजा भइया के चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह भी हैं। राजकुमारी और राजा भइया के चचेरे भाई के बीच मानी जा रही है। अक्षय प्रताप अभी तक सपा की ओर से एमएलसी हैं।

प्रतापगढ़ सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें:-
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बात करें विधानसभा सीटों की तो इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिनमें रामपुर खास, विश्वनाथ गंज, प्रतापगढ़, पट्टी और रानीगंज विधानसभा सीटें शामिल है। 2017 के विधानसभा चुनाव में इनमें से रामपुर खास सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। विश्वनाथ गंज और प्रतापगढ़ सीट पर अपना दल ने जीत हासिल की और पट्टी और रानीगंज विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है।

एक नजर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर:-
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2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ सीट पर कुल 16 लाख 92 हज़ार 170 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 06 हज़ार 435 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या 7 लाख 85 हज़ार 709 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 26 है।

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर:-
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प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर 2014 में बीजेपी और अपना दल के बीच गठंधन के तहत यह सीट अपना दल को दी गई और अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह ने यहां से चुनाव जीता। कुंवर हरिवंश सिंह को कुल 3 लाख 75 हज़ार 789 वोट मिले। वहीं दूसरे नंबर पर बसपा के आसिफ निज़ामुद्दीन सिद्दकी रहे। आसिफ को कुल 2 लाख 7 हज़ार 567 वोट मिले। तीसरे नंबर पर कांग्रेस की राजकुमारी रत्ना सिंह रही। रत्ना को कुल 1 लाख 38 हज़ार 620 वोट मिले।

एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर:-
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2009 के लोकसभा चुनवा में कांग्रेस की राजकुमारी रत्ना सिंह चुनाव जीती। रत्ना सिंह को कुल 1 लाख 69 हज़ार 137 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा के प्रोफेसर शिवकांत ओझा रहे। शिवकांत को कुल 1 लाख 39 हज़ार 358 वोट मिले। तीसरे नंबर पर तीसरे नंबर पर सपा के कुंवर अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी रहे। अक्षय प्रताप को कुल 1 लाख 21 हज़ार 252 वोट मिले।

एक नजर 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर:-
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2004 के लोकसभा चुनाव में सपा के कुंवर अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी चुनाव जीते। अक्षय को कुल 2 लाख 38 हज़ार 137 वोट मिले। दूसरे नंबर पर कांग्रेस की राजकुमारी रत्ना सिंह रहीं। रत्ना सिंह को कुल 1 लाख 68 हज़ार 865 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा के शिवप्रकाश मिश्रा रहे। शिव प्रकाश को कुल 82 हज़ार 876 वोट मिले।


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Tamanna Bhardwaj

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