वृंदावन में लगने वाले कुंभ मेले की तैयारी माघ मेले से बेहतर करने में जुटा प्रशासन

punjabkesari.in Sunday, Jan 17, 2021 - 06:18 PM (IST)

मथुरा: हरिद्वार कुंभ के पूर्व मथुरा के वृन्दावन में लगने वाले कुंभ मेले की तैयारियां प्रयागराज में चल रहे माघ मेले से भी बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस बार का वृन्दावन कुंभ पिछले तीन कुंभ से बेहतर होने की इसलिए संभावना है क्योंकि यह पहला अवसर है जब प्रदेश की बागडोर एक ऐसे मुखिया के हाथ में है जो स्वयं न केवल आध्यात्म के पर्याय हैं बल्कि सदैव इस बात के लिए प्रयत्नशील रहते हैं कि भारतीय संस्कृति के उदात्त आदशों एवं धार्मिकता से जुड़े मूल्यों का अधिकाधिक प्रस्फुटन हो। वे एक प्रकार से स्वयं इसकी मानीटरिंग कर रहे हैं। राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा भी इसमें व्यक्तिगत रूचि ले रहे हैं तथा प्रत्येक सप्ताह कुंभ मेले में जाकर कई घंटे रूककर प्रगति का अवलोकन करते हैं।                                   

जिला प्रशासन ने भी उप्र वृज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नगेन्द्र प्रताप के रूप में एक ऐसे अधिकारी को मेला अधिकारी बनाया गया है जिनका अनुभव एवं विकासोन्मुखी सोच वृज तीर्थ विकास परिषद के कार्यों में स्पष्ट दिखाई पड़ती है। वृन्दावन कुंभ को संन्त समागम कहना ठीक नहीं है। वास्तव में यह कुंभ बैठक या कुंभी है। इस संबंध में वृज संस्कृति के पुरोधा एवं मदनमोहन मन्दिर तथा मथुराधीश मन्दिर के बृजेश मुखिया ने बताया कि देव दानवों के सागर मन्थन में निकले अमृत कलश को लेकर जब गरूड़ जी उड़े तो हरिद्वार जाते समय उन्होंने कुछ समय के लिए वृन्दावन के पुरानी कालीदह पर स्थित कदम्ब के वृक्ष पर बैठकर विश्राम किया था। गरूड़ जी ने जिस प्रकार से वृन्दावन में बैठकर विश्राम किया था उसी प्रकार हरिद्वार जाने वाले अखाड़े एवं संत वृन्दावन के कुभ में विश्राम करते हैं।

उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में आवागमन के साधनों के अभाव में लोग जंगली जानवरों से बचने एवं अवांछनीय तत्वों से लुटने से बचने के लिए समूह में तीर्थाटन करने के लिए पैदल निकलते थे तथा विश्राम करते हुए अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचते थे। वृन्दावन कुंभ या कुंभी हरिद्वार कुंभ में जानेवाले अखाड़ों एवं संतो का विश्रामस्थल अथवा बैठक है।

Umakant yadav