राष्ट्रपति चुनाव: आपसी मतभेद के कारण सपा में गहराई क्रॉस वोटिंग की आशंका

punjabkesari.in Sunday, Jul 16, 2017 - 02:19 PM (IST)

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) में टूट एक और नए मोड़ पर पहुंचने के आसार हैं। कल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के परस्पर विरोधी प्रत्याशियों के खिलाफ मतदान करने की प्रबल सम्भावना के मद्देनजर क्रॉस वोटिंग की आशंका गहरा गई है। सपा के शीर्ष नेतृत्व में इस मतभेद के कारण पार्टी के विधायक और सांसद भी पसोपेश में हैं कि वे आखिर किसके साथ जाएं। हालांकि 47 सीटों वाली सपा के मतदान से राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, मगर पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार इससे परिवार में कलह और दूरियां जरूर बढ़ेंगी।

रामनाथ कोविंद को भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का उम्मीदवार बनाए जाने के दिन से ही सपा में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के मुद्दे पर मतभेद उजागर हो गए थे। राजग की तरफ से कोविंद का नाम घोषित होने के बाद पिछली 20 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्मान में लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए रात्रिभोज में मुलायम ने ना सिर्फ शिरकत की थी, बल्कि कोविंद को ‘मजबूत उम्मीदवार’ बताते हुए उनसे अपने मधुर सम्बन्धों का जिक्र भी किया था। उन्होंने कहा था कि कोविंद एक अच्छे उम्मीदवार हैं। मेरे उनके साथ पुराने सम्बन्ध हैं। भाजपा ने एक मजबूत उम्मीदवार चुना है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा बहुमत में है।

योगी के रात्रिभोज में मुलायम की मौजूदगी और कोविंद को लेकर उनके विचारों से यह स्पष्ट संदेश गया था कि वह राष्ट्रपति चुनाव में राजग के प्रत्याशी का समर्थन करेंगे। इस रात्रिभोज में आमंत्रण के बावजूद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा मुखिया मायावती ने शिरकत नहीं की थी। जसवन्तनगर सीट से सपा विधायक शिवपाल ने कहा कि कोविंद जी के नेता जी (मुलायम) से लम्बे समय से अच्छे सम्बन्ध रहे हैं। वह अच्छे व्यक्ति और सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशी हैं। नेता जी जो कहेंगे, वही होगा।

मालूम हो कि लोकसभा में मुलायम समेत सपा के 5 सांसद हैं जबकि राज्यसभा में उसके 19 सदस्य हैं। इनमें असम्बद्ध सदस्य के तौर पर अमर सिंह भी शामिल हैं जिन्हें पार्टी से निकाला जा चुका है। अखिलेश विधान परिषद सदस्य हैं। चूंकि इस उच्च सदन के सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते, इसलिए अखिलेश भी वोट नहीं डाल पाएंगे। हालांकि उनकी सांसद पत्नी डिम्पल यादव इस चुनाव में मतदान कर सकेंगी।

बता दें कि सपा में पिछले साल सितम्बर में ही फूट पड़ गई थी, जब तत्कालीन सपा अध्यक्ष मुलायम ने अखिलेश को हटाकर शिवपाल को पार्टी का प्रान्तीय अध्यक्ष बना दिया था। उसके बाद से पार्टी में उठापटक का जो दौर शुरू हुआ, वह आज तक थमा नहीं है।  वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई सपा को इस साल हुए चुनाव में इस रार का जबर्दस्त खामियाजा भुगतना पड़ा और वह महज 47 सीटों पर सिमट गई जबकि भाजपा अपने सहयोगियों के साथ 403 में से 325 सीटें जीतकर सत्ताशीर्ष पर पहुंच गई।