बिजली विभाग के निजीकरण पर यूपी सरकार ने लगाई रोक, कर्मचारियों ने आंदोलन लिया वापस

punjabkesari.in Friday, Apr 06, 2018 - 02:33 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के किसी भी जिले में निजीकरण नहीं करने के राज्य सरकार के लिखित वादे के बाद बिजली कर्मचारियों ने 19 दिनों से चल रहा राज्यव्यापी आंदोलन वापस ले लिया। ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा की मौजूदगी में प्रमुख सचिव (ऊर्जा) आलोक कुमार और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बीच लिखित समझौते हुआ जिसके अनुसार इन्टीग्रेटेड सर्विस प्रोवाइडर के लिए जारी की गई निविदा (टेण्डर) प्रबन्धन ने वापस ले लिया है।

उल्लेखनीय है कि रायबरेली, कन्नौज, इटावा, उरई, मऊ, बलिया और सहारनपुर के निजीकरण के टेण्डर गत फरवरी माह में किए गए थे जिन्हें मार्च माह में निजी क्षेत्र को हैंडओवर किया जाना था जो अब वापस ले लिए गए हैं। समिति के सयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि लिखित समझौते में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही सुधार के लिए कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जाएगी। कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा।

अन्य लम्बित समस्याओं, द्विपक्षीय वार्ता द्वारा समाधान किया जाएगा और वर्तमान आन्दोलन के कारण किसी भी कर्मचारी व अभियन्ता के विरूद्ध किसी भी प्रकार की उत्पीड़न की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। समझौते पर प्रबन्धन की ओर से प्रमुख सचिव (ऊर्जा) एवं अध्यक्ष उप्र पावर कारपोरेशन लि आलोक कुमार, प्रबन्ध निदेशक  अपर्णा यू एवं निदेशक कार्मिक एस पी पाण्डेय ने हस्ताक्षर किए।

संघर्ष समिति की ओर से शैलेन्द्र दुबे, राजीव सिंह, जीके मिश्रा, ए के सिंह, गिरीश पांडेय, सदरूददीन राना, सुहैल आबिद, विपिन प्रकाश वर्मा, राजेन्द्र घिल्डियाल, परशुराम, पी एन राय, पूसे लाल, ए के श्रीवास्तव, महेन्द्र राय, शशिकान्त श्रीवास्तव, करतार प्रसाद, राम प्रकाश, जटाशंकर मिश्र, अंकुर भारद्वाज, संदीप अग्रवाल, ओपी सिंह, अजय द्विवेदी, शशांक चैधरी, राहुल सिंह, के एस रावत, पी एन तिवारी, आर एस वर्मा, डीके मिश्रा, पवन श्रीवास्तव, शम्भू रत्न दीक्षित, कुलेन्द्र प्रताप सिंह, मो इलियास ने हस्ताक्षर किए।

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