प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने इविवि के चौथे कुलपति के रुप में संभाला पदभार, तोड़ी बाहरी परंपरा

punjabkesari.in Monday, Nov 30, 2020 - 04:22 PM (IST)

प्रयागराज: पूरब का आक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने सोमवार को चौथे कुलपति के रूप में पदभार ग्रहण किया। कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आर आर तिवारी ने प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव को कुलपति के पदभार का दायित्व सौंपा।

इस अवसर पर नवनियुक्त कुलपति ने शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सब जाने पहचाने लोग है। हम परिवार की भावना से एक साथ मिलकर काम करें, ताकि विश्वविद्यालय की गरिमा को वापस ला सकें। इसके लिए सभी शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी इमानदारी से निभानी होगी। सोए हुए विश्वविद्यालय को जगाना होगा। इस कार्य में शिक्षकों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। नवनियुक्त कुलपति का कहना था कि जितनी आप सभी शिक्षकों की उम्मीद हमसे हैं, उतनी ही मेरी उम्मीद भी आप सबसे है। सभी को मिलकर काम करना है। नार्थ हाल स्थित कुलपति कार्यालय में शिक्षकों ने उन्हें शुभकामनाएं दी।       

गौरतलब है कि वर्ष 2005 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त होने के बाद प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव इविवि की चौथी स्थायी कुलपति बनने के साथ पहली महिला कुलपति बनने का श्रेय हासिल किया। इसके साथ ही बाहरी कुलपति की परंपरा भी टूट गयी। प्रो संगीता ने 1989 में इविवि के गृह विज्ञान विभाग में लेक्चरर के रूप में सेवा की शुरुआत की। वह गृह विज्ञान की विभागाध्यक्ष के साथ कई महत्वपूर्ण कमेटियों में भी शामिल रही। इविवि का कुलपति बनने से पहले वह रज्जू भैया राज्य विश्वविदयालय की कुलपति थीं।       

केंद्रीय दर्जा मिलने के बाद कुलपति बनने वाली वह इविवि की पहली प्रोफेसर भी हैं। केंद्रीय दर्जा मिलने के बाद तीन स्थाई कुलपति नियुक्त हुए और तीनों ही बाहरी थे। पहले कुलपति हैदराबाद केन्द्रीय विवि के प्रोफेसर राजेन हर्षे थे। उन्होने पांच साल का कार्य पूरा किया और उनके बाद बाम्बे आइआइटी के प्रोफेसर ए.के. सिंह को स्थायी कुलपति नियुक्त किया गया। हालांकि विवादों के कारण उन्हें साढ़े तीन साल बाद इस्तीफा देकर जाना पड़ा। इसके बाद डेढ़ साल तक इविवि कार्यवाहक कुलपतियों के भरोसे रहा।

दिसंबर 2015 में हैदराबाद केन्द्रीय विवि के प्रोफेसर रतन लाल हांगलू को इविवि का स्थायी कुलपति नियुक्त किया गया। हालांकि वह भी विवादों में घिरे रहे। उनके 31 दिसंबर 2019 को इस्तीफा देने के बाद स्थायी कुलपति का पद खाली था।

Umakant yadav