देश के प्राचीन मंदिरों की हो सम्यक देखभाल, ताकि सैन्य बल को भारत की सुरक्षा हेतु गहरी प्रेरणा मिले: स्वामी विजयेन्द्र सरस्वती

punjabkesari.in Saturday, Aug 05, 2023 - 08:38 AM (IST)

वाराणसीः अमूमन धर्मगुरुओं के प्रवचनों में आध्यात्मिक चर्चा होती है, मगर विजयेन्द्र सरस्वती ने अपने प्रवचन में अतीत की रीतियों और वर्तमान की आकांक्षाओं दोनों का समन्वय किया है। 70वें जगद्गुरु कांची कामकोटि के पीठाधिपति स्वामी विजयेन्द्र सरस्वती ने गुरुवार को काशी में आयोजित मीडिया संवाद कार्यक्रम में अपने संबोधन में कश्मीर में शांति और अरुणाचल की सुरक्षा पर खासा जोर दिया। उनका सुझाव है कि पूर्वोत्तर में प्राचीन मंदिरों की सम्यक देखभाल हो, ताकि सैन्य बल को भारत की सुरक्षा हेतु गहरी प्रेरणा मिले।

पुरातन पुण्य क्षेत्र का आदि शंकराचार्य से नाता रहा
जगद्गुरु विजयेन्द्र सरस्वती ने कहा कि इस पुरातन पुण्य क्षेत्र का आदि शंकराचार्य से नाता रहा है। आदि शंकराचार्य (ज्येष्ठेश्वर) मंदिर कश्मीर के श्रीनगर में जबरवान रेंज पर्वतमाला पर भगवान शिव को समर्पित है। करीब 300 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस घाटी तल का ऐतिहासिक संदर्भ कवि कल्हण से मिलता है, जिन्होंने इसे गोपाद्रि कहा। इस मंदिर के दर्शन आदि शंकराचार्य ने किए थे। इसलिए मंदिर व पहाड़ी का नाम शंकराचार्य पड़ा।

पृथ्वी पर जो भी है, प्रभु के आशीर्वाद से
विजयेन्द्र सरस्वती ने कहा कि पृथ्वी पर जो भी है, प्रभु के आशीर्वाद से है। उसे अक्षुण्य रखने के लिए मनुष्य को कृतज्ञ होना चाहिए। पिछले माह विजयेन्द्र सरस्वती वाराणसी पहुंचे और श्री काशी विश्वनाथ धाम में ज्योर्तिलिंग पर रुद्राभिषेक किया।

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Ajay kumar