भाषा के आधार पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ संघर्ष मोर्चा ने किया प्रदर्शन, रखी ये मांगें

punjabkesari.in Friday, Dec 08, 2017 - 01:03 PM (IST)

इलाहाबादः भाषा के आधार पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ न्यायिक सेवा प्रतियोगी छात्राें द्वारा न्यायिक सेवा समानता संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया है। छात्राें की मांग है कि भाषा के प्रश्न पत्र में अंग्रेजी के साथ हिन्दी को भी शामिल किया जाए आैर दोनों के अंक समान हों। 

इसके साथ ही छात्राें ने आयाेग से मांग की है कि इस मामले पर त्वरित निर्णय लेकर हाे रहे भेदभाव को समाप्त करें। दिनांक 12.12.2017 की गई कार्रवाई के संबंध में छात्रों को सूचित करें अन्यथा न्यायिक सेवा प्रतियोगी छात्र अनशन करने के लिए बाध्य होंगे। 

बता दें कि उत्तर प्रदेश की न्यायिक सेवा सिविल जज( जूनियर डिविजन)  की मुख्य परीक्षा में अंग्रेजी भाषा के 200 अंक का एक प्रश्नपत्र होता है। जिसमें हिन्दी माध्यम के छात्रों को 6, 10,12, 15 व 20 अंक दिए जाते हैं।हिन्दी माध्यम के छात्रों को अंग्रेजी माध्यम के छात्रों की तुलना में बहुत कम अंक दिए जाते हैं। 

छात्राें की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं-
1. भाषा के प्रश्न पत्र में अंग्रेजी के साथ हिन्दी को भी शामिल किया जाए। दोनों के अंक समान हो।
2. अन्य राज्यों की भांति उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज( जूनियर डिविजन) की परिक्षा में सिर्फ चार अवसर की बाध्यता को समाप्त किया जाए।
3. प्रश्न पत्रों के मूल्यांकन में हिन्दी माध्यम के छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव को समाप्त किया जाए।
4. न्यायिक परीक्षाओं का आयोजन प्रतिवर्ष नियम रूप से किया जाए।

क्या है अन्य राज्याें का नियम-
1. बिहार न्यायिक सेवा में सामान्य हिन्दी का 100 अंक और सामान्य अंग्रेजी का 100 अंक का प्रश्न पत्र होता है।
2. झारखण्ड न्यायिक सेवा में हिन्दी व अंग्रेजी निबंध, संक्षेपण लेखन अनुवाद एवं व्याख्या का 100 अंक प्रश्न पत्र होता है।
3. राजस्थान न्यायिक सेवा में हिन्दी व अंग्रेजी निबंध का 50 अंक का प्रश्न होता है।
4. हरियाणा न्यायिक सेवा में अंग्रेजी का 200 और हिन्दी का 100 अंक प्रश्न पत्र होता है।
5. पंजाब न्यायिक सेवा में अंग्रेजी का 200 अंक और पंजाबी का 150 अंक का प्रश्न पत्र होता है।