हाथरस की घटना में लड़की से नहीं हुआ बलात्कार : अपर पुलिस महानिदेशक

punjabkesari.in Thursday, Oct 01, 2020 - 08:11 PM (IST)

लखनऊ, एक अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि हाथरस कांड में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ बलात्कार नहीं हुआ था।

अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने यहां कहा कि दिल्ली के एक अस्पताल के मुताबिक दलित युवती की मौत गले में चोट लगने और उसके कारण हुए सदमे की वजह से हुई थी। उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट से भी यह साफ जाहिर होता है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि वारदात के बाद युवती ने पुलिस को दिए गए अपने बयान में भी अपने साथ बलात्कार होने की बात नहीं कही थी। उन्होंने कहा कि उसने सिर्फ मारपीट किए जाने का आरोप लगाया था।

पिछले सप्ताह शनिवार को हाथरस के पुलिस अधीक्षक विक्रांतवीर ने बताया था कि 14 सितंबर को चंदपा पुलिस थाने के एक गांव में एक 19 साल की दलित लड़की को संदीप (20) नाम के एक लड़के ने मारने का प्रयास किया। पुलिस अधीक्षक ने बताया था कि लड़की अपनी मां के साथ खेत गयी थी और वहां से वह गायब हो गयी। उन्होंने बताया था कि लड़की का गला दबाने की कोशिश की गयी जिससे उसकी जबान उसके दांतो के नीचे आकर कट गयी, बाद में वह कुछ दूरी पर खून से लथपथ पायी गयी।

उन्होंने बताया कि संदीप को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया और लड़की को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। लड़की ने पहले दिन बलात्कार की बात नहीं बतायी थी। उन्होंने बताया कि बाद में लड़की ने अपने बयान में बताया था कि उसके साथ संदीप के अलावा तीन और युवकों रामू, लवकुश और रवि ने मिलकर सामूहिक दुष्कर्म किया और विरोध करने पर जान से मारने की कोशिश में उसका गला दबाया जिससे उसकी जबान कट गयी।

एसपी विक्रांत ने बताया था कि बाद में रामू और लवकुश को गिरफ्तार किया गया और शनिवार को चौथे आरोपी रवि को भी गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने बताया था कि इन सबके खिलाफ सामूहिक बलात्कार, जान से मारने का प्रयास के अलावा एससी/ एसटी एक्ट में भी मामला दर्ज करके जेल भेज दिया गया है।
हाथरस के अपर पुलिस अधीक्षक प्रकाश कुमार ने पत्रकारों को बताया था कि पहले आरोपियों के खिलाफ जान से मारने के प्रयास की धारा जोड़ी गयी थी बाद में जानकारी मिलने के बाद इन चारों के खिलाफ 376 डी (सामूहिक दुष्कर्म) की धारा जोड़ी गयी थी।
हाथरस के पुलिस अधीक्षक से उस दिन जब यह पूछा गया था कि घटना के 12 दिन हो गये हैं लड़की की मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई है या नहीं। तो उन्होंने बात को टालते हुये कहा था, ‘‘मेडिकल रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में है, अभी उसे देखा नहीं गया है लेकिन हमने आरोपियों के खिलाफ सामूहिक बलात्कार की धारा मामले में जोड़ दी है।’’
एडीजी प्रशांत कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने और जातीय हिंसा भड़काने के लिए कुछ लोग तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस ने हाथरस मामले में तुरंत कार्यवाही की और अब हम उन लोगों की पहचान करेंगे जिन्होंने माहौल खराब करने और प्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने की कोशिश की।’’
अपर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के लिए विशेष अनुसंधान दल गठित किया। इस घटना में जो लोग भी शामिल हैं उन्हें कतई बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मेडिकल रिपोर्ट आने से पहले ही सरकार के खिलाफ गलत बयानी की गई और पुलिस की छवि को खराब किया गया। हम पड़ताल करेंगे कि यह सब किसने किया। यह एक गंभीर मामला है और सरकार तथा पुलिस महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर बेहद संजीदा है।’’
उन्होंने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 और 2019 में उत्तर प्रदेश महिलाओं के प्रति अपराधों में सजा दिलाने के मामले में शीर्ष पर रहा है।

गौरतलब है कि गत 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा क्षेत्र में 19 वर्षीय एक दलित लड़की से कथित रूप से बलात्कार किया गया था। वारदात के दौरान गला दबाए जाने से उसकी जबान भी कट गई थी। लड़की को पहले अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। बाद में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था जहां गत मंगलवार को उसकी मौत हो गई।

इस घटना की पूरे देश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए थे और अब इस पर सियासत भी खासी गर्म हो गई है।

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PTI News Agency

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