लखनऊ के वीआईपी इलाके हजरतगंज में आत्मदाह के प्रयास के बढ़ते मामलों से पुलिस का बढ़ा सिरदर्द
punjabkesari.in Tuesday, Oct 20, 2020 - 06:47 PM (IST)
लखनऊ, 20 अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का दिल कहे जाने वाले हजरतगंज इलाके में रोजाना आत्मदाह के प्रयास के तीन से चार मामले आने से पुलिस प्रशासन परेशान है।
इसी इलाके में विधानभवन से लेकर मुख्यमंत्री, मंत्रियों और आला प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय हैं।
गौरतलब है कि विधानभवन के पास सोमवार को एक युवक ने अपने ऊपर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली थी, जिसमें वह 60 प्रतिशत से अधिक जल गया और अस्पताल में जिन्दगी और मौत संघर्ष कर रहा है। वहीं, सोमवार को ही एक परिवार ने अपने ऊपर तरल पदार्थ डालकर आत्मदाह का प्रयास किया, लेकिन पुलिस की सूझबूझ से इस परिवार को बचा लिया गया ।
इससे पहले पिछले मंगलवार (13 अक्टूबर) को 35 साल की एक महिला ने हजरतगंज में विधानसभा के सामने ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली । महिला की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गयी ।
पुलिस उपायुक्त सोमेन वर्मा ने मंगलवार को ''पीटीआई-भाषा'' से बातचीत में बताया, ''''ये दो मामले तो आप मीडिया वाले वह बता रहे हैं, जिन्होंने अपने ऊपर तरल या ज्वलनशील पदार्थ डालकर आत्मदाह का प्रयास किया और मीडिया की नजरों में आ गये। इसके अलावा सोमवार को ही तीन और लोगों को आत्मदाह का प्रयास करने से पहले ही पुलिस ने दबोच लिया था।'''' उन्होंने कहा, ''''वैसे रोजाना तीन से चार मामले ऐसे आते हैं, जब लोग आत्महत्या का प्रयास करने के लिये विधानभवन के इलाके में आते हैं लेकिन पुलिस की मुस्तैदी और सूझबूझ के कारण उन्हें कोई भी कदम उठाने से पहले ही दबोच लिया जाता है। इनमें से कुछ लोग तो अकेले आते हैं, जबकि कुछ लोग समूह में आते हैं।’’ डीसीपी (मध्य) वर्मा ने कहा, ''''अतिविशिष्ट इलाका होने के कारण विधानभवन और लोकभवन (मुख्यमंत्री कार्यालय) के आसपास ''आत्मदाह निरोधी दस्ते'' की पन्द्रह टीमें रोजाना तैनात रहती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हर टीम में तीन से चार सुरक्षाकर्मी होते हैं, हर टीम के पास अग्निशामक, कंबल और प्राथमिक उपचार के साधन होते हैं। इसके अलावा सात सचल टीमें (पेट्रोलिंग टीमें) हजरतगंज के इस अतिविशिष्ट इलाके में लगातार गश्त लगाती रहती हैं । यह इंतजाम केवल आत्मदाह करने के लिये आने वाले लोगों को रोकने के लिये है।'''' उन्होंने कहा कि इन टीमों के अलावा विधानभवन और लोकभवन की सुरक्षा के लिये सैकड़ों अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं।
इस बीच, पुलिस के एक आला अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पिछले साढ़े पांच महीनों में पुलिस की टीमें अपनी सूझबूझ और सक्रियता से 250 से अधिक लोगों को आत्मदाह के प्रयास से बचा चुकी हैं।
वर्मा से आत्मदाह के प्रयास की वजहों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि बेरोजगारी, नौकरी न मिलने, प्रदेश के किसी गांव में किसी की जमीन पर किसी और द्वारा कब्जा कर लेना, आर्थिक स्थिति का खराब होना, गांव में लोगों द्वारा परेशान करना आदि अनेक कारण होते हैं।
उन्होंने कहा कि इन मामलों को पुलिस की टीम के लोग सुलझाने का प्रयास करते हैं और ये लोग जिस जिले से आते हैं, वहां के अधिकारियों से बात करके इनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया जाता है।
उन्होंने कि आत्मदाह के प्रयास के रोजाना आने वाले मामलों में से ज्यादातर में पुलिस मामला दर्ज नहीं करती है। उन्होंने कहा कि सिर्फ उन्हीं लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है जो आत्मदाह का प्रयास करने में जल जाते हैं या अपनी जिद पर अड़े रहते हैं।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई मामलों में जो लोग आत्मदाह करने वाले को उकसाते हैं, उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाता है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
इसी इलाके में विधानभवन से लेकर मुख्यमंत्री, मंत्रियों और आला प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय हैं।
गौरतलब है कि विधानभवन के पास सोमवार को एक युवक ने अपने ऊपर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली थी, जिसमें वह 60 प्रतिशत से अधिक जल गया और अस्पताल में जिन्दगी और मौत संघर्ष कर रहा है। वहीं, सोमवार को ही एक परिवार ने अपने ऊपर तरल पदार्थ डालकर आत्मदाह का प्रयास किया, लेकिन पुलिस की सूझबूझ से इस परिवार को बचा लिया गया ।
इससे पहले पिछले मंगलवार (13 अक्टूबर) को 35 साल की एक महिला ने हजरतगंज में विधानसभा के सामने ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली । महिला की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गयी ।
पुलिस उपायुक्त सोमेन वर्मा ने मंगलवार को ''पीटीआई-भाषा'' से बातचीत में बताया, ''''ये दो मामले तो आप मीडिया वाले वह बता रहे हैं, जिन्होंने अपने ऊपर तरल या ज्वलनशील पदार्थ डालकर आत्मदाह का प्रयास किया और मीडिया की नजरों में आ गये। इसके अलावा सोमवार को ही तीन और लोगों को आत्मदाह का प्रयास करने से पहले ही पुलिस ने दबोच लिया था।'''' उन्होंने कहा, ''''वैसे रोजाना तीन से चार मामले ऐसे आते हैं, जब लोग आत्महत्या का प्रयास करने के लिये विधानभवन के इलाके में आते हैं लेकिन पुलिस की मुस्तैदी और सूझबूझ के कारण उन्हें कोई भी कदम उठाने से पहले ही दबोच लिया जाता है। इनमें से कुछ लोग तो अकेले आते हैं, जबकि कुछ लोग समूह में आते हैं।’’ डीसीपी (मध्य) वर्मा ने कहा, ''''अतिविशिष्ट इलाका होने के कारण विधानभवन और लोकभवन (मुख्यमंत्री कार्यालय) के आसपास ''आत्मदाह निरोधी दस्ते'' की पन्द्रह टीमें रोजाना तैनात रहती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हर टीम में तीन से चार सुरक्षाकर्मी होते हैं, हर टीम के पास अग्निशामक, कंबल और प्राथमिक उपचार के साधन होते हैं। इसके अलावा सात सचल टीमें (पेट्रोलिंग टीमें) हजरतगंज के इस अतिविशिष्ट इलाके में लगातार गश्त लगाती रहती हैं । यह इंतजाम केवल आत्मदाह करने के लिये आने वाले लोगों को रोकने के लिये है।'''' उन्होंने कहा कि इन टीमों के अलावा विधानभवन और लोकभवन की सुरक्षा के लिये सैकड़ों अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं।
इस बीच, पुलिस के एक आला अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पिछले साढ़े पांच महीनों में पुलिस की टीमें अपनी सूझबूझ और सक्रियता से 250 से अधिक लोगों को आत्मदाह के प्रयास से बचा चुकी हैं।
वर्मा से आत्मदाह के प्रयास की वजहों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि बेरोजगारी, नौकरी न मिलने, प्रदेश के किसी गांव में किसी की जमीन पर किसी और द्वारा कब्जा कर लेना, आर्थिक स्थिति का खराब होना, गांव में लोगों द्वारा परेशान करना आदि अनेक कारण होते हैं।
उन्होंने कहा कि इन मामलों को पुलिस की टीम के लोग सुलझाने का प्रयास करते हैं और ये लोग जिस जिले से आते हैं, वहां के अधिकारियों से बात करके इनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया जाता है।
उन्होंने कि आत्मदाह के प्रयास के रोजाना आने वाले मामलों में से ज्यादातर में पुलिस मामला दर्ज नहीं करती है। उन्होंने कहा कि सिर्फ उन्हीं लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है जो आत्मदाह का प्रयास करने में जल जाते हैं या अपनी जिद पर अड़े रहते हैं।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई मामलों में जो लोग आत्मदाह करने वाले को उकसाते हैं, उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाता है।
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