ऊर्जा मंत्री ने पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष को पत्र लिखकर बिलिंग व्यवस्था पर मांगा जवाब
punjabkesari.in Wednesday, Nov 25, 2020 - 07:54 PM (IST)
लखनऊ, 25 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बिजली उत्पादन कंपनियों को हुए 90,000 करोड रुपये के घाटे के लिए बिलिंग व्यवस्था में व्याप्त कथित खामियों को एक बड़ा कारण करार देते हुए उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष को पत्र लिख कर जवाब तलब किया है।
शर्मा ने बुधवार को ''भाषा'' को बताया कि पावर कॉरपोरेशन ने जुलाई 2018 में छह बिलिंग एजेंसियों के साथ अनुबंध किया था जिसके तहत ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में क्रमशः 12 महीने और आठ महीने में 97% डाउनलोडेबल बिलिंग सुनिश्चित करनी थी, लेकिन दो वर्ष गुजर जाने के बाद भी मात्र दो से तीन फीसदी ही ऐसी बिलिंग हो पाई है।
उन्होंने कहा कि डाउनलोडेबल बिलिंग से मीटर रीडर द्वारा गलत रीडिंग भरने और उपभोक्ता के घर न जाने की शिकायतों से निजात मिलती और उपभोक्ताओं को सही बिल मिलता एवं इससे उपभोक्ता बिल का समय से भुगतान कर पाते और सरकार को राजस्व की हानि नहीं होती।
शर्मा ने कहा कि उनका विभाग उपभोक्ताओं को सुविधा देने के लिए पूरी तरह तत्पर है लेकिन बिलिंग एजेंसियों की तरफ से घोर लापरवाही हो रही है जिसपर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों को हुए 90,000 करोड़ रुपये के नुकसान के लिए यह भी बहुत बड़ा कारण है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस लापरवाही को लेकर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष को हाल में एक पत्र लिख कर जवाब मांगा है और अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि एजेंसियों को 99.50 प्रतिशत उपभोक्ताओं के आधार नंबर मोबाइल नंबर मीटर नंबर सहित तमाम डाटा की जानकारी अनुबंध किए जाने की तिथि से आठ महीने के अंदर उपलब्ध करानी थी लेकिन यह काम अभी अधूरा है।
शर्मा ने कहा कि इसके अलावा एजेंसियों को अनुबंध के सात महीने के अंदर सभी ऐसे उपभोक्ताओं की पहचान करनी थी जिनकी पहचान नहीं हो पा रही थी, लेकिन यह काम भी अभी तक नहीं हो पाया है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
शर्मा ने बुधवार को ''भाषा'' को बताया कि पावर कॉरपोरेशन ने जुलाई 2018 में छह बिलिंग एजेंसियों के साथ अनुबंध किया था जिसके तहत ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में क्रमशः 12 महीने और आठ महीने में 97% डाउनलोडेबल बिलिंग सुनिश्चित करनी थी, लेकिन दो वर्ष गुजर जाने के बाद भी मात्र दो से तीन फीसदी ही ऐसी बिलिंग हो पाई है।
उन्होंने कहा कि डाउनलोडेबल बिलिंग से मीटर रीडर द्वारा गलत रीडिंग भरने और उपभोक्ता के घर न जाने की शिकायतों से निजात मिलती और उपभोक्ताओं को सही बिल मिलता एवं इससे उपभोक्ता बिल का समय से भुगतान कर पाते और सरकार को राजस्व की हानि नहीं होती।
शर्मा ने कहा कि उनका विभाग उपभोक्ताओं को सुविधा देने के लिए पूरी तरह तत्पर है लेकिन बिलिंग एजेंसियों की तरफ से घोर लापरवाही हो रही है जिसपर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों को हुए 90,000 करोड़ रुपये के नुकसान के लिए यह भी बहुत बड़ा कारण है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस लापरवाही को लेकर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष को हाल में एक पत्र लिख कर जवाब मांगा है और अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि एजेंसियों को 99.50 प्रतिशत उपभोक्ताओं के आधार नंबर मोबाइल नंबर मीटर नंबर सहित तमाम डाटा की जानकारी अनुबंध किए जाने की तिथि से आठ महीने के अंदर उपलब्ध करानी थी लेकिन यह काम अभी अधूरा है।
शर्मा ने कहा कि इसके अलावा एजेंसियों को अनुबंध के सात महीने के अंदर सभी ऐसे उपभोक्ताओं की पहचान करनी थी जिनकी पहचान नहीं हो पा रही थी, लेकिन यह काम भी अभी तक नहीं हो पाया है।
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