अनुशासनहीनता के आरोप में मथुरा के श्रम रोजगार उपायुक्त निलम्बित
punjabkesari.in Wednesday, Nov 25, 2020 - 09:57 PM (IST)
लखनऊ, 25 नवम्बर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मथुरा के श्रम रोजगार उपायुक्त को अनुशासनहीनता और मनमानी करने के आरोप में बुधवार को निलम्बित कर दिया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, मथुरा के उपायुक्त (श्रम रोजगार) वीरेंद्र कुमार को अनुशासनहीनता और स्वेच्छाचारिता के आरोप में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के आदेश पर निलम्बित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में वह ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय, लखनऊ से सम्बद्ध रहेंगे।
मामले की जांच आगरा मण्डल के संयुक्त विकास आयुक्त को सौंपी गयी है।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता के मुताबिक निलंबित श्रम रोजगार उपायुक्त कुमार पर मनमाने ढंग से कार्य करने, बिना अनुमति कार्यालय से अनुपस्थित रहने और जिलाधिकारी द्वारा जारी ''कारण बताओ नोटिस'' का जवाब न देने सहित अनुशासनहीनता के कई आरोप लगे हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने इसे आदर्श शासकीय कार्यशैली के विपरीत आचरण माना है और आरोपी अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश दिया है।
इससे पहले, गत 21 नवम्बर को ऐसे ही आरोपों में मुख्यमंत्री ने संभल के जिला विकास अधिकारी रामसेवक को निलंबित कर दिया था। रामसेवक के खिलाफ उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने, आईजीआरएस अंतर्गत रिपोर्ट न भेजने, अधीनस्थों से अभद्रता करने और बगैर समुचित अनुमति के जनपद मुख्यालय से बाहर जाने सहित अनुशासनहीनता और स्वेच्छाचारिता के अनेक आरोप प्रथमदृष्टया सिद्ध हुए थे।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, मथुरा के उपायुक्त (श्रम रोजगार) वीरेंद्र कुमार को अनुशासनहीनता और स्वेच्छाचारिता के आरोप में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के आदेश पर निलम्बित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में वह ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय, लखनऊ से सम्बद्ध रहेंगे।
मामले की जांच आगरा मण्डल के संयुक्त विकास आयुक्त को सौंपी गयी है।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता के मुताबिक निलंबित श्रम रोजगार उपायुक्त कुमार पर मनमाने ढंग से कार्य करने, बिना अनुमति कार्यालय से अनुपस्थित रहने और जिलाधिकारी द्वारा जारी ''कारण बताओ नोटिस'' का जवाब न देने सहित अनुशासनहीनता के कई आरोप लगे हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने इसे आदर्श शासकीय कार्यशैली के विपरीत आचरण माना है और आरोपी अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश दिया है।
इससे पहले, गत 21 नवम्बर को ऐसे ही आरोपों में मुख्यमंत्री ने संभल के जिला विकास अधिकारी रामसेवक को निलंबित कर दिया था। रामसेवक के खिलाफ उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने, आईजीआरएस अंतर्गत रिपोर्ट न भेजने, अधीनस्थों से अभद्रता करने और बगैर समुचित अनुमति के जनपद मुख्यालय से बाहर जाने सहित अनुशासनहीनता और स्वेच्छाचारिता के अनेक आरोप प्रथमदृष्टया सिद्ध हुए थे।
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