योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी भाजपा : शर्मा

punjabkesari.in Saturday, Sep 25, 2021 - 10:23 AM (IST)

लखनऊ, 24 सितंबर (भाषा) उत्‍तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने उच्च जातियों, विशेष तौर पर ब्राह्मणों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से दूर होने के दावे को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने समाज के हर वर्ग के लिए काम किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री को लेकर कोई विवाद नहीं है और केंद्रीय नेतृत्व ने तय कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के चेहरे के साथ भाजपा विधानसभा चुनाव में उतरेगी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक रहे उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने ''पीटीआई-भाषा'' के साथ एक साक्षात्कार में मुख्यमंत्री के मसले पर कहा कि '''' यह एक सुलझा हुआ मसला है क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा दोबारा सरकार बनाने के लिए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी।''''राज्य में भाजपा के ब्राह्मण चेहरे डॉक्टर शर्मा ने उन अटकलों को खारिज किया कि उच्च जातियां, विशेष रूप से ब्राह्मण भाजपा से दूर जा रहे हैं जिन्हें बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी समेत अन्य लोग लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने जाति और पंथ के चश्‍में से कोई चेहरा नहीं देखा बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए काम किया है। भाजपा के लिए ब्राह्मणों के वोटों के नुकसान पर शर्मा ने कहा, "यह प्रतिद्वंद्वियों द्वारा उनके (ब्राह्मण) वोट के लिए एक झूठा प्रचार है।

कांग्रेस के प्रमुख ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद (पूर्व केंद्रीय मंत्री) को भाजपा में शामिल किये जाने पर शर्मा ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हुए हैं।

उन्होंने उन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध से विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सौ से अधिक सीटों पर भाजपा को भारी नुकसान होगा । उन्होंने विपक्षी दलों पर अन्नदाता अनाज उत्पादकों के बीच, अपना वोट हासिल करने के लिए असंतोष फैलाने का आरोप लगाया।

किसान आंदोलन के मसले पर उन्होंने कहा कि किसान भाजपा की सर्वोच्‍च प्राथमिकता है लेकिन अगर कोई किसान के रूप में भेष बदलकर अपने निहित राजनीतिक हितों को पूरा करने की कोशिश करता है तो लोग उसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग संभालने वाले शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव किया है। पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कटाक्ष किया कि पहले राज्य सरकार बोर्ड परीक्षाओं में धोखाधड़ी के आयोजन के लिए निविदा देने के लिए जानी जाती थी लेकिन अब उत्तर प्रदेश में नकल मुक्त परीक्षा आयोजित करने और छात्रों को सब्सिडी वाली किताबें प्रदान करने के लिए सरकार की प्रशंसा हो रही है।

शर्मा ने कहा कि ''''यह वही उत्तर प्रदेश है जिसमें प्रधानमंत्री ने 2017 में (विधानसभा चुनाव रैली) गोंडा में कहा था कि सामूहिक नकल (बोर्ड परीक्षाओं में) के लिए निविदाएं मंगाई जाती हैं। लेकिन आज यह नकल मुक्त परीक्षा के लिए अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बन गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में उप्र सी ग्रेड में था लेकिन आज यह ए ग्रेड में है।

यह पूछे जाने पर कि क्या आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा और सपा के बीच सीधी या मायावती की बसपा सहित त्रिकोणीय लड़ाई होगी, शर्मा ने कहा, "भाजपा बंपर जीत रही है और ये विपक्षी दल एक-दूसरे से आगे निकलने के लिए आपस में लड़ रहे हैं।" इस बार प्रियंका गांधी वाद्रा के नेतृत्व वाली कांग्रेस की संभावना पर, उन्होंने बिना नाम लिए कहा, " जब चुनाव नजदीक है तो राजनीतिक पर्यटक लोग भी अच्छी तरह से जानते हैं कि चुनाव के दौरान उनके साथ कौन खड़ा है।" यह पूछे जाने पर कि क्या अयोध्या आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए आधार होगी, शर्मा ने कहा, "भाजपा के लिए, राम मंदिर का निर्माण कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं था, बल्कि आस्था का विषय था। यह भाजपा थी, जिसने अकेले राम मंदिर आंदोलन को समर्थन दिया और बाधाओं को दूर किया।

उन्होंने याद दिलाया कि ''''राम मंदिर के लिए कल्याण सिंह जी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था और जो लोग आज बुद्धिजीवियों की सभा आयोजित कर रहे हैं, उनके शासन काल में राम भक्तों पर गोलियां चलाई गईं, ऐसे में जनता किसका समर्थन करेगी? क्या उन पर जिन्होंने राम भक्तों पर ''गोली'' चलाई, या जो ''राम नाम की बोली'' के नारे लगाते हुए उनके साथ खड़े रहे।" यह पूछे जाने पर कि क्या वह चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने कहा कि ''''भाजपा में यह प्रश्न नहीं आया करता है, भाजपा में नेता और कार्यकर्ता अपने बारे में नहीं तय करता है बल्कि केंद्रीय नेतृत्व समय और आवश्यकता अनुसार भूमिका तय करता है। उन्होंने बताया कि विधान परिषद सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल 2027 तक है।


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PTI News Agency

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