PUBG गेम बच्चों और अभिभावकों के लिए बनी जिंदगी और मौत का खेल, एडिक्ट हो रहे हैं बच्चे
punjabkesari.in Thursday, Jun 09, 2022 - 05:53 PM (IST)
बलिया: गोली कंचे, गुल्ली डंडा, लुकाछिपी, चोर पुलिस जैसे खेल कभी बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाने में मदद करते थे, लेकिन आज के दौर में मोबाइल की चकाचौंध में बचपन खोता जा रहा है। बच्चे नानी दादी की कहानियों से दूर घर में अकेले पबजी जैसे आक्रामक खेलों के ज़रिए गन चलाना और काल्पनिक दुश्मनों को खत्म करने का टारगेट तय करने लगे है।
अभिभावक की शिकायतें जरूर हैं कि बच्चे पहले से ज्यादा समय मोबाइल पर गुजारते हैं, लेकिन जब अभिभावकों से पूछा गया कि आप कितना समय बच्चों को देते है तो कई अभिभावकों ने माना कि वो बच्चों को ज्यादा समय नहीं देते। वहीं साइक्लोजिस्ट पूजा भट्ट का कहना है कि बच्चों में मोबाइल की बढ़ती लत उन्हें अवसाद की तरफ ले जाती है। बच्चों को शारीरिक खेलों में शामिल होना और सामाजिक ढांचे से जुड़े रखना बेहद ज़रूरी है।
बता दें कि भारत में प्रतिबंधित होने के बाद भी युवा मोबाइल से धड़ल्ले से पबजी गेम खेल रहे हैं। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन)का इस्तेमाल करके लोकेशन जियाे ब्लॉकिंग को बाइपास किया जा रहा है। दूसरे देश की लोकेशन दिखाकर वे आसानी से इस जानलेवा गेम को खेल रहे हैं। यह बेहद चिंताजनक है। साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट तक इस तरह की शिकायतें आ रही हैं। वे अभिभावकों को ऐसे गेम से बच्चों को दूर रखने की सलाह दे रहे हैं।
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