कश्मीर सिंह के अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब, किसानों की नम आखों में सरकार के प्रति दिखा आक्रोश

punjabkesari.in Sunday, Jan 03, 2021 - 05:33 PM (IST)

रामपुर: उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर में आज शोक की लहर स्पष्ट रूप से दिखी। शनिवार जिस किसान ने गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानून के विरोध में आत्महत्या की थी आज कड़ी सुरक्षा के साथ जिले में अंतिम संस्कार किया गया। किसान के अंतिम संस्कार में रामपुर के ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से भी काफी लोग पहुंचे थे और नम आंखों से किसान को अंतिम विदाई दी। इस दौरान जहां लोगों की आंखों में गम था वहीं सरकार के प्रति आक्रोश भी साफ नजर आ रहा था।

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किसान का पूरे सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार
बता दें कि जनपद रामपुर की तहसील बिलासपुर के पसियापुरा  गांव निवासी 80 वर्षीय कश्मीर सिंह जो पिछले कई दिनों से गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानून के विरोध प्रदर्शन में डटे हुए थे। वे सरकार से इस कदर नाराज थे कि उन्होंने एक सुसाइड नोट लिखकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उनका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान जिले के तमाम आला अधिकारी मौजूद थे और आसपास के लोग भी मौजूद थे। 

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सरकार ने किसी भी तरह की मदद का नहीं किया ऐलान: मृतक का बेटा
मृतक बुजुर्ग किसान कश्मीर सिंह के बेटे लाडी सिंह से पंजाब केसरी के संवाददाता ने बात की तो उन्होंने कहा सरकार गलत कर रही है उनका जो भी फैसला है वह गलत है उसको वापस लेना चाहिए। जो काले कानून है उसको भी वापस लेना चाहिए। लाडी सिंह ने कहा उनके पिताजी 20 से 25 दिन से वहां पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। सरकार ने कोई मदद का ऐलान नहीं किया है हम तो यह कह रहे हैं कि सरकार अपने काले कानून वापस ले ले किसान अपने घर पहुंचे।  वहां पर बच्चे बूढ़े बुजुर्ग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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भाजपा सरकार के प्रति लोगों में काफी आक्रोश: किसान अवतार सिंह
वहीं  दूसरे किसान अवतार सिंह ने कहा क्रेंद सरकार के प्रति लोगों में काफी आक्रोश है। 75 वर्षीय बुजुर्ग किसान कश्मीर सिंह ने गाज़ीपुर बॉर्डर पर आत्महत्या की है। उससे सभी लोगों में आक्रोश है आज उनका अंतिम संस्कार हुआ है। इसमें बहुत बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए। हमारी केंद्र सरकार से मांग है कि जो कृषि कानून है इनको सरकार वापस ले 4 तारीख को जो बैठक होने वाली है उसमें किसानों की मांगें मानकर उनको एक तोहफा देना चाहिए।  किसान इस तरह से खुदकुशी कर रहे हैं उस पर विराम लग सके। जो लाखों की तादाद में किसान वहाँ बैठे हैं वह अपने घर वापस जा सके।

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किसान आंदोलन में अब तक 53 की गई जान
गौरतलब है कि किसान आंदोलन के दौरान अब तक 53 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से 20 की जान पंजाब में और 33 की दिल्ली की सीमाओं पर गई है। लेकिन सरकार अभी भी अपनी बात पर अड़ी हुई है लेकिन किसान भी अपनी बात मनवाने के लिए 1 महीने से ज्यादा हो गया खुले आसमान के नीचे और हाड़ कपाती ठंड में विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।

 

 

 


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Umakant yadav

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