राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी...मथुरा में कृष्ण जनमाष्टमी के बाद राधा अष्टमी की धूम

punjabkesari.in Sunday, Aug 23, 2020 - 06:39 PM (IST)

मथुराः उत्तर प्रदेश के कृष्णनगरी मथुरा के समूचे ब्रज मंडल में राधाष्टमी उतने ही जोश और खरोश से मनाई जाती है जितनी उत्साह और उमंग से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसीलिए राधाष्टमी पर ब्रज मण्डल की डार-डार और पात-पात से राधे-राधे की प्रतिध्वनि गूंजने लगती है। मथुरा हो या वृन्दावन, रावल हो या बरसाना, गोवर्धन हो या महाबन अथवा संकेत सभी तीर्थस्थलों में राधारानी का जन्म बड़े ही जोश खरोश से इसलिए मनाया जाता है कि राधा श्रीकृष्ण की आद्या शक्ति हैं।

मशहूर भागवताचार्य रसिक बिहारी विभू महराज का कहना है कि श्रीकृष्ण की शक्ति ही राधा हैं तभी तो सात साल के कान्हा द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली में सात दिन सात रात धारण करने का जब रहस्य पूछा गया तो श्रीकृष्ण ने कहा कि ‘कछु माखन को बल भयो, कछु गोपन करी सहाय। राधे जू की कृपा से गिरवर लियो उठाय।' उन्होंने बताया कि राधे जी की कृपा के महत्व को देवगणों ने भी स्वीकार किया है तभी तो स्वयं राधा से पूछा जाता है कि ‘राधे तू बड़ भागिनी कौन तपस्या कीन। तीन लोक तारन तरण जो तेरे आधीन।'

राधा नाम ही भव सागर को पार कराने वाला है तभी तो कहा गया है ‘राधे राधे जपो चले आएंगे बिहारी।' विभू महाराज ने कहा कि इस बार भी 26 अगस्त को राधाष्टमी पूरे जोश से ब्रज में मनाई जाएगी। उनका कहना था कि यद्यपि राधारानी का जन्म ब्रज के रावल ग्राम में उनके ननिहाल में हुआ था पर राधाष्टमी उनके पैतृक गांव बरसाने में इतने जोश से मनाई जाती है कि बरसाने की पहचान राधारानी से हो गई है।       

रसिक बिहारी विभू महराज ने कहा कि ब्रज के कण कण में राधा जी हैं तथा करोनावायरस का संक्रमण ब्रजवासियों के जोश को कम नही कर सकता। भले ही राधाष्टमी पर ब्रज के अधिकांश मंदिरों में श्रद्धाुलुओं का प्रवेश इस वर्ष निषेध कर दिया गया हो पर एक बात निश्चित है कि करोनावायरस का राधाष्टमी के विधि विधान से मनाने पर कोई असर पड़नेवाला नही है।

 

 

 

 

 


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Moulshree Tripathi

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