रायबरेली को भरोसा, राहुल रखेंगे विशेष ख्याल

punjabkesari.in Sunday, Dec 17, 2017 - 03:51 PM (IST)

रायबरेली: आजादी के बाद से ही नेहरू गांधी परिवार का बखूबी साथ निभाने वाले रायबरेली के बाशिंदे राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने से बेहद उत्साहित हैं। उन्हें भरोसा है कि अपने बुजुर्गो की तरह वह भी यहां के लोगों के संग पारिवारिक रिश्तों की डोर मजबूत रखेंगे। आजादी के बाद से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में रायबरेली की जनता ने कांग्रेस और नेहरू गांधी परिवार को गले से लगाया है।

जानकारी के अनुसार फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और अरूण नेहरू समेत कांग्रेस के कई दिग्गज संसद में यहां का प्रतिनिधित्व कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर चुके हैं। हालांकि हितों की अनदेखी यहां के लोगों को कतई बर्दाश्त नहीं है। वर्ष 1977 का लोकसभा चुनाव इसका प्रत्यक्ष गवाह है जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को यहां जनता पार्टी के राजनारायण के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था।

निवर्तमान अध्यक्ष और वर्ष 2004 से रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी ने भी जिस तरह से अपने सम्बोधन में राहुल गांधी को एक परिपक्व राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया उससे यह भी यह स्पष्ट हो गया कि अब वह काफी हद तक सक्रिय राजनीति से दूर ही रहेेंगी। इन्ही संभावनाओं के बीच रायबरेली वासियों को भी एहसास हो चला है कि गांधी-नेहरू परिवार के तौर पर उन्हें राहुल गांधी का ही स्नेह मिलता रहेगा। हालांकि अमेठी के सांसद होते हुए भी राहुल गांधी का यहां आना-जाना तो जरूर रहा लेकिन राजनैतिक रूप से सक्रियता नगण्य रही।

राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद अब यह माना जा रहा है कि देर-सवेर वह भी गांधी, नेहरू परिवार के इस गढ़ को अपनी कर्मभूमि बना सकते हैं। देश की आजादी के बाद से लेकर अब तक गांधी, नेहरू खानदान से फीरोज गांधी, इंदिरा गांधी, अरूण नेहरू, शीला कौल, दीपा कौल, कैप्टन सतीष शर्मा और स्वय सोनिया गांधी समेत 7 सदस्य रायबरेली का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

यह भी माना जाता रहा है कि देश को प्रधानमंत्री तथा कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष के रुप में सबसे अधिक समय तक देने का गौरव भी रायबरेली वासियों के नाम ही रहा है। ऐसे में राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद यहां के लोगों की अपेक्षाएं राहुल गांधी से अधिक बढ़ गई हैं। लोग इसे शुभ-अशुभ से जोड़ कर देख रहे हैं। तर्कों के आधार पर लोगों का यहां तक कहना है कि भले ही सोनिया गांधी का राजनीति में प्रवेश 1997-98 में हो गया था लेकिन उनके प्रभामंडल में बढ़ोत्तरी वर्ष 2004 में रायबरेली आने के बाद ही हुआ और यही फार्मूला राहुल गांधी पर भी कामयाब होगा।