टैल्गो ट्रेन ने भारत में रचा इतिहास, पहली बार 180KM की रफ्तार से दौड़ी

punjabkesari.in Wednesday, Jul 13, 2016 - 02:33 PM (IST)

नई दिल्लीः स्‍पेन की टैल्गो ट्रेन ने बुधवार को भारत में पहली बार 180 किमी की रफ्तार से दौड़कर इतिहास रच दिया। मथुरा से पलवल तक 84 किमी का ट्रायल रन सफल रहा और इसी के साथ टैल्गो ने अब तक की सबसे तेज ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है, जिसकी मैक्सिमम स्‍पीड 160 किमी प्रतिघंटा है। टैल्गो ट्रेन का जंपिंग टेस्ट भी हुआ। आझई रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर 1 इंच मोटा और 6 इंच लंबा लोहे का टुकड़ा रखा गया। इसके बाद ट्रेन को इस पर दौड़ाया गया। इस जांच की वजह यह पता लगाना था कि ट्रैक पर कोई ब्‍लॉकर आने पर हाई स्‍पीड में ट्रेन पर क्या असर हो सकता है। 

84km के सफर में लगे 37 मिनट
जानकारी के मुताबिक, टैल्गो सुबह 11:28 बजे मथुरा स्टेशन से रवाना हुई और दोपहर 12:05 बजे पलवल स्टेशन पहुंची। ट्रेन के लोको पायलट सुनील कुमार पाठक ने बताया कि इसकी मैक्सिमम स्‍पीड 180 किमी प्रति घंटा रही। इस स्‍पीड से टैल्गो ट्रेन को भारतीय डीजल इंजन डब्ल्यूडीसी-4 ने दौड़ाया। ट्रेन के एक अन्य लोको पायलट विवेक शर्मा ने बताया कि ट्रेन को 84 किमी का सफर करने में 37 मिनट लगे। रास्ते में 8 कॉशन (ब्रिज के नीचे और मोड़ पर स्‍पीड कम करने की वॉर्निंग) मिली, जिसकी वजह से स्‍पीड को 8 बार कम करना पड़ा। 84 किमी के टेस्टिंग में 9 कोचों का इस्तेमाल किया गया। अब 26 जुलाई तक इसी स्पीड से ट्रेन का ट्रायल होगा। लगातार सफल ट्रायल होने के बाद दिल्ली से मुंबई के बीच इसका ट्रायल होगा।

टैल्गो ट्रेन की खासियत
1942 में टैल्गो कंपनी की स्‍थापना हुई थी। यह बेहतरीन पैसेंजर कोच बनाने के लिए जानी जाती है। नॉर्मल भारतीय कोच में पहिए एक दूसरे से जुड़े होते हैं। इसकी वजह से पहिए का झटका पूरे कोच पर आता है। वहीं, टैल्गो कंपनी के कोच के पहिए एक-दूसरे से एक ही धुरी से जुड़े नहीं हैं। मोड़ या झटके होने पर आगे और पीछे के पहिए अलग-अलग धुरी पर घूमते हैं। इससे पहिए का झटका कोच में महसूस नहीं होता है।

टैल्‍गो ने अब तक 14 तरह के कोच बनाए हैं। ये कोच 380 किमी प्रति घंटे की स्‍पीड तक दौड़ सकते हैं। नॉर्मल एलएचबी कोच के मुकाबले टैल्गो कोच एल्‍युमि‍नियम से बने होने के कारण बेहद हल्के हैं। इसकी वजह से इसकी रफ्तार तेज है। सीट बेहद आरामदायक हैं और जर्क महसूस नहीं होता है। बुजुर्गों, प्रेग्नेंट महिलाओं और बच्चों को प्लेटफॉर्म पर उतरने में भी परेशानी नहीं होगी। इमरजेंसी ब्रेक लगने पर पैसेंजर्स को जर्क नहीं लगेगा।