OBC आरक्षण को लेकर राम गोपाल यादव ने डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य पर साधा निशाना, कहा-  भाजपा में उनकी स्थिति बंधुआ मजदूर जैसी!

punjabkesari.in Tuesday, Dec 27, 2022 - 03:45 PM (IST)

लखनऊः उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने OBC आरक्षण को रद्द कर दिया है। इसे लेकर सियासत तेज हो गई। इसी को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव ने ट्वीट कर हाईकोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही उन्होंने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर भी तंज कसते हुए कहा है कि भाजपा में उनकी स्थिति बंधुआ मजदूर जैसी है।


 
'OBC मंत्रियों के मुँह पर ताले'- राम गोपाल यादव
प्रो. राम गोपाल यादव ने ट्वीट कर कहा है कि 'निकाय चुनावों में ओबीसी का आरक्षण खत्म करने  का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण। उत्तर प्रदेश सरकार की साज़िश। तथ्य न्यायालय के समक्ष जानबूझकर प्रस्तुत नहीं किए। उत्तर प्रदेश की  साठ फीसदी आबादी को आरक्षण से वंचित किया। ओबीसी मंत्रियों के मुँह पर ताले। मौर्य की स्थिति बंधुआ मजदूर जैसी'!

कोर्ट ने OBC आरक्षण किया रद्द
बता दें कि  उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर इलाहाबाद की लखनऊ पीठ ने बड़ा फैसला दिया है। इस मामले में कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को  रद्द  कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ओबीसी आरक्षण की सभी सीटें सामान्य होगी। कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट के बिना कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। बता दें कि इस मामले में  लखनऊ पीठ ने शनिवार को उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव के मामले पर सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पीठ मामले में आज अपना फैसला सुनाया है। पीठ पहले ही मामले के निपटान तक अधिसूचना पर रोक लगा चुकी है। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कोटे को लेकर राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर शनिवार को सुनवाई पूरी की।

'रैपिड सर्वे ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले जितना ही है बेहतर' - राय
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्‍ता एलपी मिश्रा ने अदालत को विस्तार से मामले की जानकारी दी और उसके बाद अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता अमिताभ राय ने राज्य सरकार की ओर से मामले में लंबी बहस की। राय ने कहा कि रैपिड सर्वे ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले जितना ही बेहतर है। पीठ प्रथम दृष्टया राज्य सरकार के तर्कों से सहमत नहीं दिखी। पीठ अब मामले में 27 दिसंबर को फैसला सुनाएगी। मामले में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार को इस राज्य में ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन का अध्ययन करने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन करने संबंधी ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला अपनाना चाहिए और इसके बाद ही आरक्षण तय करना चाहिए।

Content Editor

Harman Kaur