15 साल बाद फिर साइकिल पर सवार हुए रमाकांत यादव, ग्रहण की सपा की सदस्यता

punjabkesari.in Sunday, Oct 06, 2019 - 03:37 PM (IST)

लखनऊः बीजेपी के सबसे मजबूत यादव नेता कहे जाने वाले पूर्व सांसद बाहुबली रमाकांत यादव 15 साल बाद फिर साइकिल पर सवार हो गए हैं। रविवार को उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजदूगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। उन्हें गत 3 अक्टूबर को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था। इसके साथ ही दिवंगत सांसद फूलन देवी की बहन और प्रगतिशील मानव समाज पार्टी की अध्यक्ष रूक्मणी देवी निषाद भी सपा में शामिल हो गई।  

बीजेपी को हटाने में हम जरूर कामयाब होंगे: अखिलेश
सपा अध्यक्ष अखिलेश ने रमाकांत और उनके साथियों का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि इससे दल को और मजबूती मिलेगी। सपा की यह जो ताकत बढ़ रही है उससे भरोसा हो रहा है कि वर्ष 2022 में आप सबका सहयोग मिलेगा तो बीजेपी को हटाने में हम जरूर कामयाब होंगे। अखिलेश ने कहा कि बीच में कुछ कारणों से दूरियां बनी थी, लेकिन अब कोई दूरी नहीं रहेगी। आने वाले समय में हम लोग मिलकर काम करेंगे।

आशा भरी निगाह से अखिलेश की तरफ देख रहा देश का नौजवान
इस दौरान रमाकांत यादव ने कहा कि आज जो देश के हालात हैं, उनमें देश का नौजवान, किसान और मजदूर एक आशा भरी निगाह से अखिलेश यादव की तरफ देख रहा है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि एक सिपाही के रूप में आप जहां कहेंगे, वहां मैं खड़ा रहूंगा।

राजनीतिक स्वार्थ के माहिर माने जाते हैं रमाकांत
वर्ष 1984 में जगजीवन राम की पार्टी से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले रमाकांत यादव राजनीतिक स्वार्थ के माहिर माने जाते हैं। एक दौर था जब रमाकांत मुलायम सिंह के सबसे करीबी माने जाते थे। गेस्ट हाउस कांड में मायावती के साथ दुर्व्यवहार मामले में रमाकांत का नाम सामने आया था। बाद में सीएम रहते हुए मुलायम ने रमाकंत को हत्या के आरोप से बचाया था, लेकिन वह उनके भी नहीं हुए। वर्ष 2004 में राजनीतिक लाभ के लिए सपा को छोड़ बसपा के साथ चले गए।

BJP से टिकट कटने के बाद थामा कांग्रेस का हाथ
वैसे रमाकांत बसपा के भी बनकर नहीं रहे और सांसद बनने के बाद वर्ष 2007 में पार्टी छोड़ दी। वर्ष 2008 में वह बीजेपी में शामिल हो गए। वर्ष 2009 में रमाकांत बीजेपी के टिकट पर सांसद बने, लेकिन एक बार फिर राजनीतिक स्वार्थ उनके रास्ते का रोड़ा बना। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी के खिलाफ बयानबाजी का परिणाम रहा कि बीजेपी ने वर्ष 2019 में रमाकांत को पार्टी से टिकट नहीं दिया और मजबूरी में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा।

चुनाव के बाद से अखिलेश को मनाने में लगे थे रमाकांत
सपा से समझौते के कारण कांग्रेस ने भी रमाकांत को आजमगढ़ से टिकट नहीं दिया और भदोही से मैदान में उतार दिया जहां उनकी जमानत जब्त हो गई। इसके बाद से ही उन्हें अपना राजनीतिक कैरियर समाप्त होता दिखने लगा था। चुनाव के बाद से ही रमाकांत अपना कैरियर बचाने के लिए अखिलेश को मनाने में लगने थे। वहीं रमाकांत के सपा में जाने को बीजेपी ने राजनीतिक स्वार्थ का फैसला बताया है।

Deepika Rajput