मायावती का पोस्टर जलाने वाले रामवीर सिंह कर्दम ने माफी मांगी, बताया किसलिए जलाया ‘झंडा’

punjabkesari.in Wednesday, Oct 07, 2020 - 04:30 PM (IST)

आगरा: बसपा सुप्रीमो मायावती का झंडा जलाने वाले आगरा जाटव महापंचायत के अध्यक्ष रामवीर सिंह कर्दम ने माफी मांगी है। सफाई देते हुए कर्दम ने कहा है कि आगरा के जो भी बसपा के पदाधिकारी हैं वह न तो दलितों की पीढ़ा को सुनते हैं और न ही उनके सुख-दुख में जाते हैं। इसी बात को लेकर मैं बहन जी से मिलना चाहता था। जो भी कुछ हुआ है वह गुस्से में आकर हुआ है। अगर समाज के किसी व्यक्ति को ढेस पहुंची है तो उसके लिए समाज के माफी मांगता हूं। मैं बहन जी से भी माफी चाहता हूं क्योंकि मेरा इरादा नहीं था कि मैं झंडे जलवाऊं। मुझसे जो गलती हुई है उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं, मुझे क्षमा करें। क्योंकि मैं भी आपके समाज से हूं। जो भी काम हुआ है वह सब गुस्से में ही हुआ है। उसके लिए मैं समाज से माफी चाहता हूं। 

रामवीर सिंह कर्दम ने बताया कि मैं भी बहुजन समाज पार्टी में मंडल क्वार्डीनेटर, जोन क्वार्डीनेटर रहा हूं। बहन जी ने 2004 में मुझे लोकसभा का टिकट भी दिया था। मैं आज तक बसपा और बहन जी को वोट देता आया हूं। मैं उत्तराखंड का प्रभारी भी रहा हूं। मैंने झंडा इसलिए जलाया क्योंकि आगरा के जो भी पदाधिकारी हैं वह दलितों की पीड़ा को नहीं सुनते हैं। 



मायावती का पोस्टर जलाकर जटाव समाज ने जताई थी नाराजगी 
जटाव समाज के लोगों का कहना है कि अनुसूचित जाति के लोग आंख बंद कर बहन जी पर भरोसा करते हैं, लेकिन समाज के ज्वलंत मुद्दों पर वह केवल ट्वीट कर काम चलाती हैं। आगरा जाटव महापंचायत के अध्यक्ष रामवीर सिंह कर्दम ने कहा कि एक ओर जहां तमाम राष्ट्रीय नेता हाथरस पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे हैं। मगर बसपा सुप्रीमो ने दलित युवती के पीड़ित परिवार से मिलने की जहमत नहीं उठाई। उन्होंने हाथरस न जाकर, पीड़ित परिवार से न मिलकर यह दर्शाया है कि वो सिर्फ दिखावे के लिए दलितों का समर्थन करती हैं और दलितों के वोट पर राजनीति करती हैं। अब समाज जाग गया है और जो दलितों के हित में काम करेगा, दलित उसे ही वोट देगा। बड़ी संख्या में मौजूद दलित समाज के लोगों ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने इस तरह के कई और अन्य उदाहरण देते हुए बसपा मुखिया मायावती के पोस्टर जलाए और बसपा के झंडे जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।

Ajay kumar