यहां रावण की होती है पूजा, दशहरे के दिन नहीं जालाया जाता पुतला

punjabkesari.in Tuesday, Oct 11, 2016 - 03:20 PM (IST)

गाजियाबाद: वैसे तो पूरे देश में दशहरे के दिन रावण का पुतला फूंका जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के नजदीक बिसरख गांव में रावण की पूजा की जाती है। यहां लंका पति रावण से जुड़ा एक मन्दिर आज भी अपनी यादों को जि़ंदा रखे हुए है जिसकी मान्यता है की इस गांव में दशानन भगवान शिव की आराधना करता था तपस्या करता था। गांव वासियों का कहना है की महा ज्ञानी रावण पैदा भी यही हुआ था।

मन्दिर के महंत ने बताया की यहां पहले जमना नदी का बहाव था जिसके कारन यहां ऋषि मुनि तपस्या करने आते थे उन्हीं में से एक महान मुनि विशेष शर्वा ने यहां एक शिवलिंग स्थापित की और पूजा पाठ किया करते थे एक दिन कैकसी नाम की महिला ने ऋषि को तपस्या करते हुए कहा की मुझे पुत्र चाहिए ऋषि ने उस महिला को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया बाद में मुनि को पता चला की स्त्री अविवाहित है इसी कारण से ऋषि को उस स्त्री से विवाह करना पड़ा। जिससे उनको 3 पुत्रों की प्राप्ति हुई, रावण, कुम्भकर्ण और विभीषण।

रावण की मां राक्षश प्रवर्ति की थी और पिता महान मुनि इसलिए रावण में कही ना कही राक्षश प्रवति हावी हो गई जिसके कारन रावण ने ऋषि मुनियों का वध करना शुरू कर दिया। लेकिन रावण भगवन भोले नाथ का परम भक्त था। और वो भी इसी शिवलिंग की पूजा अर्चना किया करता था। साथ ही चारों वेदों का ज्ञानी भी था जिससे उसकी शक्ति और भी कई गुणी बड़ गई थी। बताया जाता है की अपनी मुक्ति के लिए रावण ने मां सीता का हरण किया और भगवन राम ने रावण का वध कर उसको मुक्ति प्रदान की।

रावण बिसरख गांव में ही पैदा हुआ था इसलये यहां के लोग आज भी यहाँ दशहरा नहीं मनाते है मान्यता है की एक दो बार यहां दशहरा मनाया गया था लेकिन गांव में कुछ अनहोनी हो गई थी। जिसको लोगों रावण का आदेश माना की वो नहीं चाहता की गांव में दशहरा मनाया जाए।लोगो का ये भी मानना है की जिसको स्वम भगवन विष्णु ने मुक्ति प्रदान की हो उसके लिए कैसा दु:ख और रावण की ये जन्म भूमि है इसलये यहां दशहरा नहीं मनाया जाता।