पाकिस्तानी जेल से रिहा हुए मिर्जापुर के पुनवासी जल्द आएंगे गांव, घर पर एकमात्र बहन कर रही इंतजार

punjabkesari.in Monday, Dec 28, 2020 - 05:12 PM (IST)

मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले पुनवासी के लिये नया साल शुभ होगा। नये साल में पाकिस्तान की जेल से छूट कर उसकी घर वापसी हो जायेगी। एक सप्ताह से चल रही जद्दोजहद अब पूरी होती नजर आ रही है। जिला प्रशासन उसे वापस लाने के लिए सभी कागजी कार्रवाई पूरी करने में जुट गया है।

जिलाधिकारी सुशील पटेल ने उसके परिजनों को आश्वस्त किया है। जिले के देहात कोतवाली थाना क्षेत्र के भरुहना निवासी पुनवासी की पाकिस्तान के जेल से छूटने के बाद मिर्जापुर घर वापस आने में महीनों लग रहा है। पाकिस्तानी जेल पहुंचने और वतन वापसी की उसकी कहानी बड़ी अजीब हैं। जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक पुनवासी वर्ष 2009 में सीमा पार कर पाकिस्तान चला गया था। पाकिस्तान की पुलिस ने उसे जेल में डाल दिया था। सीमा पार करने की सजा पूरी करने के बाद भी राष्ट्रीयता की पुष्टि न होने के कारण वह दो साल तक जेल में ही पड़ा रहा।

बताया गया कि दो वर्ष पहले पाकिस्तान सरकार ने भारतीय विदेश मंत्रालय को भारतीय युवक के बंद होने की जानकारी दी। भारत सरकार को पुनवासी के घर का पता लगाने में दो वर्ष लग गये। कठिन परिश्रम के बाद पिछले 6 अक्टूबर को खुफिया विभाग ने उसके घर का पता लगाया। फिर उसके वतन वापसी की कार्यवाही शुरू हुई। पिछले 17 नवम्बर को अमृतसर की अटारी सीमा पर पाकिस्तान ने भारत को सौंपा। एक माह से अधिक समय हो गये वह अब भी अमृतसर में ही है। ऐसा इसलिए था क्योंकि जिला प्रशासन ने उसकी घर वापसी के लिए कोई पहल नहीं की। परिजनों और स्थानीय लोगों ने जब आवाज उठाया मीडिया के दबाव के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया।

जिलाधिकारी सुशील पटेल ने बताया कि सभी कागजी कोरम पूरा कर लिया गया है। टीम भी गठित कर दी गयी है। उसको घर लाने के लिए एक दो दिन में जिला प्रशासन अपने अधिकारी /कर्मचारी भेजेगा। हरहाल में पुनवासी घर वापस आ जायेगा। पुनवासी मिर्जापुर से पाकिस्तान कैसे पहुँचा? फिर उसके घर पता लगाने में इतना समय क्यो लगा? इसका अभी तक अधिकारिक जबाब नहीं मिल पाया है।

बहरहाल पुनवासी के घर में केवल उसकी एकमात्र बहन है। वह अपने भाई के घर वापसी के इंतजार में हैं। वह तो पुनवासी की आस छोड़ चुकी थी। पुनवासी के घर लौटने के आस में उसके मां-बाप परलोक जा चुके हैं। भरुहना निवासियों को भी उसके जिंदा होने की जरा भी सम्भावना नहीं थी। इस खबर से गांव के लोग खुश हैं।

Umakant yadav