भ्रष्टाचार मामले में सस्पेंड हुए 13 सिपाही तीसरे दिन ही हुए बहाल, उठ रहे सवाल

punjabkesari.in Monday, Mar 27, 2017 - 03:15 PM (IST)

नोएडा: भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड किए गए सेक्टर-20 थाने के 13 सिपाहियों के केवल 3 दिन में बहाल हो जाने के मामले में पूरी कार्रवाई पर सवाल उठाने वाला एक और खुलासा हुआ है। इस मामले में विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, जिस पुलिसकर्मी के नाम से डीजीपी के पास शिकायत गई थी, उस नाम का कोई पुलिसकर्मी सेक्टर-20 थाने में तैनात ही नहीं है। अफसरों ने पहले एक बेनामी शिकायत पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की और फिर 3 दिन में जांच पूरी कर आरोपियों को क्लीनचिट दे दी।

जानिए पूरा मामला
बता दें कि प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए अभियान का असर जिले में भी दिखा था। एक ही दिन में 13 पुलिसवाले निलंबित हुए तो लगा कि सिस्टम में सुधार आएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। निलंबित पुलिसवालों को बहाल करने में इतनी जल्दी दिखाई गई और सबकुछ इतनी खामोशी से हुआ कि कार्रवाई की जद में आने वाले पुलिसकर्मियों व उन पर लगे आरोपों के बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आ पा रही है।

सूत्रों के मुताबिक, इन 13 पुलिसकर्मियों में अधिकतर यादव हैं। पिछली सरकार में भी इन पर कई बार कार्रवाई की तलवार लटकी, लेकिन हर दफा सत्ता में बैठे उनके आकाओं ने बचा लिया। माना जा रहा है कि नई सरकार में भी उनकी वह सेटिंग काम आ गई। अब इस मामले में कोई पुलिस अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। बता दें कि जिस दिन यह सब हुआ सेक्टर-20 थाने के एसएचओ अनिल प्रताप सिंह कहीं बाहर थे। जब उनके नायब एसएसआई प्रह्लाद यादव सिंह से उन सिपाहियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अंदर बैठे मुंशियों की ओर इशारा करके कहा कि वे बता देंगे। वहीं, मुंशियों ने बताया कि अफसरों ने किसी बाहरी आदमी को कुछ बताने से इनकार किया है।

अब यह उठ रहे सवाल
- अफसरों ने शिकायत पर एक्शन लेने से पहले शिकायतकर्ता के बारे में जानना जरूरी क्यों नहीं समझा?
- यदि शिकायत बेनामी भेजी गई है तो क्या आरोप भी बेमानी हो जाते हैं?
- क्या आरोपों की जांच 3 दिन में पूरी कर ली गई और सभी आरोपित पुलिसकर्मी बेदाग पाए गए हैं?
- पहले सस्पेंड और फिर बहाल होने वाले पुलिसकर्मी कौन हैं? सीनियर अफसर इन पुलिसकर्मियों के बारे में इतनी खामोशी क्यों ओढ़े हुए हैं?