जनता को गुमराह करने का परिणाम लोकसभा चुनाव के नतीजों में दिखेगा: अखिलेश

punjabkesari.in Tuesday, Apr 10, 2018 - 09:58 AM (IST)

लखनऊ: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा नेताओं पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने और जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गोरखपुर-फूलपुर के चुनावों में भाजपा की हार जनता के असंतोष का परिणाम है और भाजपा की हार का यह सिलसिला अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी जारी रहेगा।

यादव ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पदाधिकारियों से मुलाकात के दौरान कहा कि देश की भावनाओं का दोहन लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। बात जन सरोकारों के मुद्दों पर होनी चाहिए। भाजपा नेता जिस भाषा का उपयोग कर रहे हैं वह अवांछनीय है। यह दौर राजनीति की परीक्षा का समय है। लोकतंत्र को बचाने के लिए सावधानी रखनी होगी। समय को हाथ से नहीं जाने देना है।

उन्होंने कहा कि तालीम के बिना देश तरक्की नहीं कर सकता है। भारतीय संविधान के प्रति भी पूरी निष्ठा होनी चाहिए। आज देश का नौजवान और किसान दोनों परेशान हैं। भाजपा गुमराह करने में माहिर है। रोजगार के अवसर नहीं हैं। किसान बदहाली में जी रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों के मन में आक्रोश है। राज्य की जनता की इन दिनों तूफान से पहले की चुप्पी भविष्य का संकेत दे रही है।

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि विगत एक वर्ष में राज्य में अराजकता व्याप्त है। भाजपा राज का आचरण जन-विरोधी है। किसान-बेरोजगार आत्महत्या करने को मजबूर हैं। बच्चियों से बलात्कार और महिलाओं का उत्पीड़न थमने का नाम नहीं ले रही है। यादव ने पार्टी मुख्यालय पर आए पार्टी के प्रमुख नेताओं की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा है कि भाजपा नेताओं के अलोकतांत्रिक आचरण के कारण ही कानून-व्यवस्था चौपट है। भाजपा नेता स्वयं कानून हाथ में ले रहे है। भाजपाई और अपराधियों की सांठगांठ का ही परिणाम है कि राज्य में भय और आतंक का वातावरण बन गया है।

उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेताओं की यह जिम्मेदारी है कि जहां भी अन्याय की घटनाएं घटित होती है वहां तत्काल पहुंच कर पीड़ितों की हर सम्भव मदद करने के लिए सक्रिय रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा राज में अन्याय और अत्याचार की कोई सीमा नहीं है। भाजपाई समाजवादी पार्टी और बसपा के गठबंधन से पूरी तरह बौखलाए हुए हैं। यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन से भाजपा की भाषा बदलती जा रही है। सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा शिष्टाचार से शून्य है। साथ ही राजनीतिक मर्यादा का अभाव है। भाजपा के लोगों के बयान असंसदीय और लोकतंत्र विरोधी हैं।

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