दुखदः शहीदों की धरती कहे जाने वाला मौधा गांव आज भी है विकास से महरूम

punjabkesari.in Wednesday, Jul 10, 2019 - 11:27 AM (IST)

फर्रुखाबादः फर्रुखाबाद के मोहम्मदाबाद की ग्राम सभा मौधा को शहीदों की धरती कहा जा सकता है। वैसे तो विकास खंड क्षेत्र के 42 जवानों ने देश की खातिर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा संख्या 18 मौधा के शहीदों की है। प्रथम विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी मौधा के जवानों ने दुश्मनों से लोहा लिया, लेकिन आज भी ये गांव विकास के लिए तरस रहा है।

शहीदों की धरती पर विकास को तरस रहे लोग
मौधा की आबादी लगभग 4 हजार है, जिसमे 1900 मतदाता हैं। यहां के विकास की बात करें तो जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। गांव में न तो पक्की सड़क बनी है,जो सड़के बनी हुई है वह भी टूटी हुई हैं। गांव में लगभग 98 प्रतिशत सैनिकों के घर हैं। गांव में 2 प्रतिशत लोग गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार है, जो सरकार की तरफ से मदद मिले उसके लिए आस लगाए बैठे है। इस शहीदों के गांव में कुछ गरीब परिवार रहते हैं। उन परिवारों की महिलाओं के पति मजदूरी करके सिर्फ अपने परिवार का पालन पोषण ही कर पाते हैं, लेकिन शौचालय बनाने के लिए उनके पास रुपया नहीं है। गांव में किसी भी प्रकार का कोई भी विकास कार्य दिखाई नहीं देता है। गांव में मीटर लगाने में बड़ी लापरवाही बरती गई है। उपभोक्ताओं के यहां मीटर तो लगा दिए गए पर लाइन से तार अभी तक नहीं जोड़ा गया।

प्रथम विश्वयुद्ध में 10 जवान हुए शहीद
गांव के जानकारों की मानें तो प्रथम विश्वयुद्ध में यहां के 10 जवान अहिबरन सिंह प्रथम, सुतुआ सिंह, बरनाम सिंह, शिवपाल सिंह, जगन्नाथ सिंह, गोकरन सिंह, अजय सिंह, सरजू सिंह, छोटे सिंह व अहिबरन सिंह द्वितीय शहीद हुए थे। शहीदों की याद में ही यहां स्मारक बनाया गया है, जिसका लोकार्पण 5 जुलाई को गृहमंत्री राजनाथ सिंह किया था।

द्वितीय विश्वयुद्ध में 3 जवानों ने दी आहुति
द्वितीय विश्वयुद्ध में तीन जवानों रामेश्वर सिंह, चंद्रपाल सिंह और हरबख्श सिंह ने प्राणों की आहुति दी थी। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध में रामऔतार सिंह, कुंजल सिंह और वर्ष 1965 में भारत-चीन युद्ध में राजबहादुर सिंह दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। वर्ष 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध में कन्हई सिंह और ज्ञानेंद्र सिंह ने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। दुश्मनों की गोली से दोनों शहीद हो गए थे।

मौधा गांव के 18 शहीदों ने शहीदी
मौधा गांव के 18 शहीदों समेत हैदरपुर, गोसरपुर, मुड़गांव, करनपुर, अरसानी, ईसेपुर, गढ़ी बनकटी, सहसपुर, मॉडलशंकरपुर, जिंजौटा पहाड़पुर, संकिसा, सिरौली, न्यामतपुर ठाकुराना और मुरान गांव के 42 जवानों ने देश के लिए जान दी थी। इन सभी के नाम मौधा में बने शहीद स्मारक में अंकित हैं। मौधा के ग्रामीणों का कहना है कि उनकी पूरी ग्राम सभा के करीब 150 लोग सेना में शामिल होकर देश की सेवा कर रहे हैं। वहीं 210 पूर्व सैनिक पेंशन पा रहे हैं।













 

Tamanna Bhardwaj