हौसले को सलामः हाथों की जगह पैरों से लिख रहा अपना नसीब

punjabkesari.in Thursday, Aug 08, 2019 - 01:54 PM (IST)

फर्रुखाबादः सच ही कहा गया है कि अगर इंसान के हौसले बुलंद हो तो वह किसी भी मंजिल को पा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया फर्रुखाबाद जिले में एक ऐसा युवा हैदर ने, जो कि हाथों से पूर्ण रूप से विकलांग होने के बावजूद जज बनने के लिए पढ़ाई कर रहा है। हैदर ने अपने माता पिता व बड़ी बहन की हौसला अफजाई के बाद हाथ खराब होने की वजह से पैरों से लिखना पढ़ना शुरू किया। उसके बाद लगातार मेहनत करने के बाद ग्रेजुएशन कम्प्लीट करने के बाद अपने मोहल्ले के लगभग 150 बच्चों को पढ़ा रहा है। उसके साथ खुद जज बनने के लिए एलएलबी की पढ़ाई कर रहें हैं।

जेल में जाकर अपराधी बच्चों को पढ़ाते हैं हैदर
शहर के बाहर गरीबों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई कांशीराम कालोनी के रहने वाले हैदर अपना आइडियल एपीजे अब्दुल कलाम के साथ अपने पिता को मानते हैं। उन्हीं की शिक्षा की वजह से हैदर आज बच्चों की जेल में जाकर अपराधी बच्चों को पढ़ाकर उनको सुधारने का काम कर रहे हैं।

जज बनना चाहते हैं हैदर ताकि गरीबों को न्याय दिला सके
हैदर का कहना है कि कक्षा 8 तक कि किताबें सरकार दे रही है, लेकिन हम कक्षा 9 से 12 तक किताबें गरीब बच्चों को देते है ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। हाथों से विकलांग हैदर का कहना है कि मैं वह काम करके दिखाऊंगा, जिससे जो लोग शरीर से स्वस्थ होने के बावजूद भी सड़कों रेलवे स्टेशनों पर भीख मांगते दिखाई देते हैं। यदि इंसान कुछ कर गुजरने की मन मे ठान ले तो अपंगता उसके काम मे बाधा नहीं बन सकती है। घर पर बच्चों को इसलिए पढ़ाना शुरू किया ताकि इस कालोनी की गलियों में कंच्चे खेलने वाले पढ़ाई कर सके। जज इसलिए बनना चाहते हैं, जिससे जिन गरीबों को न्याय नहीं मिल पाता है, उनको न्याय दिला सके।

पैरों से ही अपने सभी दैनिक कार्य करते हैं हैदर
हैदर हाथों से बिकलांग जरूर है, लेकिन वह अपने पैरों से ही अपने सभी दैनिक कार्यो को करते हैं। जैसे लिखना, लैपटॉप चलाना, चाय पीने से लेकर भोजन तक पैरों से करते है। लिखाई में मास्टर है कोई व्यक्ति हाथों से जितना फ़ास्ट नही लिख सकता जितना कि हैदर पैरों से लिखते है।

विकलांग हैदर की काबलियत के कायल हैं लोग
हैदर की बड़ी बहन गजाला अधिवक्ता है वह अपने भाई को इसलिए आगे बढ़ा रही ताकि कोई यह न कहे सके कि विकलांग सिर्फ भीख मांग सकता है और कुछ नहीं कर सकता इन्ही बातों को लेकर उसको अपने पैरों पर खड़ा होने का हुनर दिलाया जा रहा है। उसकी काबलियत के सभी कायल हैं। वही पिता इस्लाम को अपने बेटे हैदर पर नाज है।

Tamanna Bhardwaj