सावन स्पेशलः क्या आप कुंवारे हैं या शादी में आ रही है अड़चनें तो करें पांडेश्वर नाथ का दर्शन, जल्द बजेगी शहनाई

punjabkesari.in Monday, Aug 02, 2021 - 12:55 PM (IST)

फर्रुखाबाद: (दिलीप कटियार) भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है। दरअसल यहां हर छोटे-बड़े मन्नतों को पूरा करने के लिए भगवान मिल जाएंगे। वहीं विभिन्न हिस्सों में कई ऐसे शिवलिंग मौजूद हैं जिनकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी। इनमें से कई शिवलिंग ऐसे हैं जिनके बारे में मान्यता है कि इनकी स्थापना स्वयं पांडवों ने की थीं। उत्तर प्रदेश फर्रुखाबाद के इस पांडेश्वर नाथ मंदिर के बारे में भी मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना भी पांडवों ने अज्ञातवाश के दौरान की थी। इसके साथ ये भी मान्यता है कि स्थापना के दौरान भगवान कृष्ण स्वंय मौजूद थे।

दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सभी कष्ट  
बता दें कि पांडेश्वर नाथ के दर्शन मात्र से ही सारे कष्टों का निवारण हो जाता है। जिनके दर्शन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। महाभारतकालीन इस मंदिर में भगवान महादेव की भक्ति की अविरल धारा बहती है।  फर्रुखाबाद में रेलवे रोड स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की हर-हर महादेव की गूंज चारों ओर सुनाई देने लगती है।  सूर्योदय के साथ ही श्रद्धालू पूजा के लिए लंबी कतारों में लग जाते हैं। .सावन के महीने में जलाभिषेक के लिए भोले भंडारी के भक्तों का तांता सूर्य की पहली किरण के साथ ही लगने लगता है।  बम-बम भोले के जयकारे मंदिरों में गुंजयमान होने से वातावरण भी भक्तिमय हो जाता है। भगवान शंकर यूं तो अराधना से प्रसन्न होते हैं। शिव शंकर बहुत भोले हैं। इसीलिए हम उन्हें भोलेभंडारी भी कहते है। यदि कोई भक्त सच्ची श्रद्धा से उन्हें सिर्फ एक लोटा जल भी अर्पित करे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं।  सावन के इस पवित्र महीने में पांडेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक का बड़ा महत्व है।  पुराणों में भी शिव के अभिषेक को बहुत पवित्र महत्व दिया गया है।

पांचों पांडवों ने की थी शिव मंदिर की स्थापना
आगे बता दें कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर की स्थापना की थी।  इसीलिए इस मंदिर की मान्यता अधिक है। महाभारत में एकचक्रानगरी का जिक्र है। इसके मुताबिक गंगा के तट के पास राजा द्रुपद का किला था।  चारों ओर जंगल ही जंगल थे।  गंगा तट पर धौम्य ऋषि का आश्रम था जहाँ से धौम्य ऋषि स्वयंवर कराने काम्पिल्य गये थे।  पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इसी इलाके में शरण ली थी।  पांडव मां कुंती के साथ एक पीपल के पेड़ के नीचे रहने लगे जहाँ उन्होंने एक शिव मंदिर की स्थापना की जो आज पांडेश्वरनाथ मंदिर पंडा बाग के नाम से जाना जाता है।

40 दिन दर्शन करने मात्र से दूर होती है शादी में आ रही अड़चनें 
इसके साथ ही मंदिर की ये भी मान्यता है कि यदि आप कुंवारे हैं और शादी करना चाहते हैं लेकिन आपकी शादी में अडचनें आ रही हैं या किसी वजह से शादी नहीं हो पा रही है तो मान्यता है कि पांडेश्वर नाथ के 40 दिन लगातार दर्शन करने से शादी के योग बन जाते हैं।  विवाह में आने वाली सभी अड़चनें दूर हो जाती हैं। हर रोज यहां सैकड़ों कुंवारे लोग मन्नत मांगने के लिए आते है।  कई लोगों को यहां पर जल्दी शादी का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ है और उनकी शादी की सभी दिक्कतें दूर हो गईं। भक्त अपने पांडेश्वर नाथ बाबा से कई प्रकार की मनोकामना करते हैं।  

 

 

 

 

 

Content Writer

Moulshree Tripathi