जमानत अर्जी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम निर्णय, कहा- दूसरी जमानत अजी नए तर्कों के आधार पर ही संभव

punjabkesari.in Thursday, May 18, 2023 - 08:27 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दूसरी जमानत अर्जी पर विचार करने के मामले में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि बिना किसी नई और बदली हुई परिस्थितियों के एक अदालत को पिछली जमानत अर्जी को खारिज करने के अपने आदेश की अनदेखी करते हुए दूसरी जमानl;त अर्जी पर विचार करना उचित है या नहीं।

अभियुक्त की ओर से दूसरी जमानत अर्जी वर्जित नहीं है, लेकिन…
कोर्ट ने आगे कहा कि हालांकि अभियुक्त की ओर से दूसरी जमानत अर्जी वर्जित नहीं है, लेकिन जमानत के आधारों पर विचार करने वाले कारकों को ध्यान में रखना आवश्यक है। पहली जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उपलब्ध नए आधारों पर अभियुक्त की दूसरी जमानत अर्जी पर विचार किया जाता है। यह नहीं कहा जा सकता कि दूसरी जमानत अर्जी सुनवाई योग्य नहीं होगी। इस तरह के जमानत आवेदन की पोषणीयता है, लेकिन जमानत के लिए प्रार्थना पर विचार नए आधारों की उपलब्धता के अधीन होता है जो जमानत आवेदन को खारिज करने वाले पहले के आदेश की समीक्षा करते हैं।


अर्जी सुनवाई योग्य है, लेकिन…
न्यायालय ने यह भी कहा कि दूसरी जमानत अर्जी सुनवाई योग्य है, लेकिन जमानत की प्रार्थना पर विचार इस तथ्य पर निर्भर करेगा कि नए आधारों की दलील दी गई है या नहीं। उक्त आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल की एकलपीठ ने राजकरण पटेल के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एक मामले में दाखिल दूसरी जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया।

क्या है मामला?
मामले के अनुसार पीड़िता के पिता करुणापति पटेल अपने क्षेत्र के मामलों को हाईकोर्ट में दाखिल करने के लिए आवेदक के पास लाते थे। पीड़िता एलएलबी करने के बाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करना चाहती थी। इसी उद्देश्य से वह भी याची के पास आती थी। एलएलबी के प्रथम वर्ष में प्रवेश के बाद पीड़िता याची पर अपने पुत्र शिवराज पटेल से शादी करवाने का दबाव बनाने लगी, साथ ही उसे अपने जूनियर के रूप में उच्च न्यायालय में स्थापित करने का प्रस्ताव भी रखा, जबकि उसके पास डिग्री और बार काउंसिल में पंजीकरण नहीं है। विवाह के मुद्दे पर अपनी पत्नी और पुत्र से चर्चा करने के बाद याची ने रिश्ते से इंकार कर दिया, जिससे उनके बीच संबंधों में कड़वाहट आ गई थी।

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Ajay kumar