परिवार के 7 शवों के बीच बिलखती रही थी शबनम...जब सच सामने आया तो दहल उठा पूरा देश

punjabkesari.in Wednesday, Feb 17, 2021 - 04:09 PM (IST)

अमरोहा: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में साल 2008 में एक ऐसा सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया था, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस वारदात को अंजाम देने वाले कातिल ने पुरुष, महिलाओं के साथ-साथ मासूम बच्चों को भी नहीं बख्शा था। सबकी गर्दन उनके धड़ से अलग कर दी थी। बाद में कातिल गिरफ्तार किए गए, जो एक जोड़ा था। जी हां एक महिला और एक पुरुष। उन दोनों को अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। 

7 लोगों का कातिल कौन

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में साल 2008 में एक ऐसा सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया था, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस वारदात को अंजाम देने वाले कातिल ने पुरुष, महिलाओं के साथ-साथ मासूम बच्चों को भी नहीं बख्शा था। सबकी गर्दन उनके धड़ से अलग कर दी थी। 

हत्याकांड का पूरा षड्यंत्र

शबनम का गांव में आरा मशीन चलाने वाले अब्दुल रऊफ के पुत्र सलीम के साथ प्रेम प्रसंग था। दोनों एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें खा चुके थे, लेकिन उन दोनों का यह रिश्ता शबनम के परिवार को मंजूर नहीं था। क्योंकि सलीम का परिवार हैसियत के मुताबिक शौकत के परिवार के सामने कमतर था। इस बात से शबनम और उसका प्रेमी खासे परेशान थे। एक दिन उन दोनों ने एक खौफनाक साजिश को अंजाम देने का इरादा कर लिया। 

14/15 अप्रैल 2008 अमरोहा जिला, उत्तर प्रदेश

उस रात रोज की तरह शौकत का पूरा परिवार खाना खाने के बाद सोने चला गया। शबनम भी घरवालों को खाना खिलाने के बाद सोने चली गई, लेकिन उसी रात उस घर पर मौत का कहर बरपा। जब सुबह लोग जागे तो शौकत के घर का मंजर खौफनाक था। हर तरफ लाशें बिखरी हुई थीं। घर के हर एक शख्स मर चुका था। सिवाय एक के और वो थी शौकत की 24 वर्षीय बेटी शबनम। शबनम ने पुलिस को बताया कि घर में बदमाशों ने धावा बोलकर सबको मार डाला। उसने बताया कि हमलावर लुटेरे छत के रास्ते आए थे।

लोहे का दरवाजा और पुलिस का शक
हत्याकांड की खबर उस गांव से निकलकर पूरे प्रदेश और फिर देश में फैल चुकी थी। पुलिस तेजी से मामले की जांच कर रही थी। हर कोई जानना चाहता था कि आखिर कौन थे वो कातिल जिन्होंने पूरा का पूरा हंसता खेलता परिवार खत्म कर दिया। पुलिस ने शबनम के बयान को आधार पर बनाकर जांच शुरू की। जब उनके घर की छत पर जाकर देखा तो जमीन और छत के बीच करीब 14 फुट की ऊंचाई थी। जहां सीढ़ी लगाने का भी कोई नामों निशान नहीं था।

छत से बरसात का पानी नीचे ले जाने के लिए महज एक पाइप लगा था। जांच में पुलिस ने पाया कि वहां भी किसी के चढ़ने-उतरने के कोई निशान मौजूद नहीं थे। छत से नीचे आने वाले जीने में भी बड़ा लोहे का दरवाजा लगा था। जिसे आसानी से खोला नहीं जा सकता था। पुलिस को शक था कि शबनम जीने का दरवाजा खुद तो बंद नहीं कर सकती थी तो दरवाजा बंद किसने किया था। बसी इसी बात को लेकर शबनम पुलिस के रडार पर आ गई। घर का मजबूत लोहे का दरवाजा तोड़कर अंदर आना मुमकिन नहीं था। यानी दरवाजा अंदर से ही खोला गया था।

कॉल डिटेल ने खोला राज
पुलिस ने इसी दौरान शबनम के फोन की कॉल डिटेल निकलवाई। पुलिस ने पाया कि शबनम ने 3 महीने में एक नंबर पर 900 से ज्यादा बार फोन किया था। पुलिस ने उस नंबर की जांच की तो पाया कि वो नंबर गांव में आरा मशीन चलाने वाले सलीम का था। पुलिस ने सीडीआर को जांचने के बाद पाया कि घटना की रात शबनम और सलीम के बीच 52 बार फोन पर बातचीत हुई थी। बस पुलिस के सामने इस सामूहिक हत्याकांड की तस्वीर साफ होने लगी थी। पुलिस ने बिना देर किए सलीम नामक उस युवक को हिरासत में ले लिया। फिर शबनम और सलीम से पूछताछ की गई। पहले शबनम अपनी लुटेरों वाली कहानी बताती रही, लेकिन पुलिस के सख्ती के बाद सलीम और शबनम ने मुंह खोल दिया।

ऐसे किए थे 7 मर्डर
शबनम और सलीम ने अपना गुनाह कुबूल करते हुए बताया कि सलीम ने शबनम को जहर लाकर दिया था। जो 14 अप्रैल 2008 की रात शबनम ने रात में खाने के बाद घरवालों की चाय में मिला दिया था। सभी घरवालों ने चाय पी. इसके बाद वे सब एक-एक कर मौत के मुंह में समाते चले गए। इसके बाद शबनम ने फोन कर सलीम को अपने घर बुलाया। सलीम कुल्हाड़ी लेकर वहां आया था। उसने वहां आकर शबनम के सब घरवालों के गले काट डाले। यही नहीं वहां मौजूद शबनम के दस वर्षीय भांजे को भी गला घोंट कर मार डाला। जहर की पुष्टि बाद में सभी मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हुई थी। सभी शवों के पेट में जहर पाया गया था। 

15 जुलाई 2010 जिला अदालत, अमरोहा
इस घटना को अंजाम देने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों पर सामूहिक हत्या का मुकदमा चलाया गया। इस मामले पर सुनवाई करते हुए अमरोहा के तत्कालीन जिला जज ए.ए. हुसैनी ने शबनम और सलीम को मामले का दोषी करार दिया और उन दोनों को सजा-ए-मौत सुनाई। दोनों को फांसी दिए जाने का फरमान दिया। जब यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो वहां भी इसी सजा बरकरार रखा गया। जब इस कातिल प्रेमी जोड़े को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली तो इन दोनों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा।

राष्ट्रपति ने भी किया दया याचिका को खारिज
सुप्रीम कोर्ट के बाद अब महामहिम राष्ट्रपति ने भी बावनखेड़ी हत्याकांड की नायिका शबनम की दया याचिका को ठुकरा दिया, जिसके बाद एक बार फिर शबनम को फांसी दिए जाने की अटकलें तेज हो गई है।

क्या कहते है शबनम का चाचा
शबनम के चाचा सत्तर पूरे हत्याकांड को आज भी नही भूले है वह कहते है उन्होंने शबनम को ना तो उस दिन के बाद देखा और ना ही कोई बात हुई। सत्तर का कहना है कि शबनम ने जो किया है उसकी सजा उसको जरूर मिलेगी।

नहीं भूले पूर्व प्रधान अभी तक पूरा मंज़र
उस समय प्रधान रहे फुरकान अहमद उर्फ बोबा आज भी उस दिलदहला देने वाले मंज़र को भूल नहीं पाए हैं। बोबा प्रधान का कहना है कि वह खुद शवों के साथ पोस्टमार्टम हाउस तक गए थे। उन्हें आज भी यकीन नही होता है कि एक बेटी इस तरह षड्यंत्र रच कर अपने पूरे परिवार को मौत के घाट उतारा सकती है।

Content Writer

Tamanna Bhardwaj