अंडर-19 महिला टी-20 विश्वकप का हिस्सा रही शिखा सहलोत ने किया देश का नाम रोशन, गांव के लोग कहते थे "लड़की है खिला रहे हैं"
punjabkesari.in Friday, Feb 03, 2023 - 04:48 PM (IST)
गाजियाबाद (संजय मित्तल): उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद (Ghaziabad) के अटौर नंगला गांव की रहने वाली शिखा सहलोत (Shikha Sehlot) ने दुनिया भर में देश का नाम रौशन किया है। साउथ अफ्रीका (south africa) में आयोजित अंडर-19 महिला टी20 विश्वकप (Under 19 women world cup) में भारतीय टीम (Indian team) का हिस्सा रहीं शिखा सहलोत ने कम उम्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है। गुरुवार शाम शिखा अपने घर पहुंचीं हैं। उसकी इस कामयाबी से पूरे गांव में खुशी का माहौल हैं।
गांव के लोग कहते थे कि 'लड़की है खिला रहे हैं'- शिखा सहलोत
शिखा सहलोत ने बताया कि बचपन में वह गांव में ही क्रिकेट खेला करती थी। पापा ने क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन कराई जहां क्रिकेट सीखना शुरू किया। पांच साल की मेहनत के बाद आज इस मुकाम पर पहुंची हूं। वर्ल्ड कप को लेकर 6 महीने विशेष ट्रेनिंग की। बीसीसीआई द्वारा कैंप लगवाया जाता था, जिसमें ट्रेनिंग दी जाती थी। सहलोत का कहना है कि इस जीत के बाद उन्हें काफी हौसला मिला है और वह अब आईपीएल के लिए ट्रेनिंग शुरू करेंगी। उनका अगला मुकाम आईपीएल में बड़ा खिताब हासिल करना होगा। बता दें कि महिला क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर को शिखा सहलोत आदर्श मानती हैं। शिखा से जब सवाल किया गया इस मुकाम तक पहुंचने में उनके सामने क्या-क्या चुनौतियां आई तो उनका कहना था, कभी कभार गांव के लोग यह कहते सुनाई देते थे कि 'लड़की है खिला रहे हैं'।
13 साल की उम्र में शिखा ने क्रिकेट का हुनर सीखना शुरू किया- शिखा के पिता
शिखा के पिता योगेश कुमार ने बताया कि वह भी स्कूल के दिनों में क्रिकेट खेला करते थे। क्रिकेट के बारे में उन्हें अच्छी समझ थी। जब वह शिखा को घर के बाहर क्रिकेट खेलते हुए देखते तो उन्हे अपना बचपन याद आता है। फिर एक दिन उन्होंने शिखा से बात की और शिखा को क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन करा दी। 13 साल की उम्र में शिखा ने क्रिकेट का हुनर सीखना शुरू कर दिया। उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी शिखा कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने लगेगी। आज काफी गर्व महसूस हो रहा है। मां बाप का सपना होता है कि वह अपने बच्चों के नाम से जाने जाएं और शिखा ने उस सपने को पूरा किया है। योगेश कुमार ने सभी मां बाप से अपील की है कि अगर उनकी बेटियां खेल के क्षेत्र में रुचि रखती हैं तो उन्हें सपोर्ट करें जिससे कि वह आगे बढ़ सकें।
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हर दिन करीब 12 घंटे शिखा अकैडमी में करती थी प्रैक्टिस- कोच
शिखा को इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले कोच राहुल चौधरी बताते हैं कि, वह बीते 4 साल से शिखा को प्रैक्टिस करा रहे हैं। प्रैक्टिस के दौरान शिखा की मेहनत और लगन को देखकर ही विश्वास होने लगा था कि, जल्द वह किसी बड़े मुकाम पर पहुंचेगी। हर दिन करीब 12 घंटे शिखा अकैडमी में प्रैक्टिस किया करती थी। कोच राहुल का कहना है कि एक दिन बाद वह दोबारा से प्रैक्टिस सेशन शुरू कर देंगे।