...तो क्या वाराणसी में सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड बना पाएंगे PM मोदी?

punjabkesari.in Thursday, May 02, 2019 - 10:27 AM (IST)

वाराणसी(संजीव शर्मा, इलैक्शन डैस्क): क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार चुनाव में जीत के मार्जिन का एक ऐसा रिकार्ड बना पाएंगे जो आने वाले समय में किसी भी नेता के लिए चुनौती होगा? वाराणसी में उम्मीदवारी को लेकर उपजे ताजा हालात के बाद यह सवाल अब सियासी पंडितों के जहन में तेजी से घूम रहा है। पिछले चुनाव में नरेंद्र मोदी ने वडोदरा सीट पर 8 लाख 45 हजार 464 वोट लेकर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 5 लाख 70 हजार 128 मतों के अंतर से हराया था। यह जीत का अब तक का दूसरा बड़ा मार्जिन था। बाद में उन्होंने वडोदरा सीट छोड़ दी थी और इस बार वह वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या मोदी यह रिकार्ड बनाएंगे?

72 फीसदी मत मिले थे मोदी को
2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी को वडोदरा में 72.75 प्रतिशत जबकि कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री को महज 23.69 प्रतिशत वोट मिले थे। भाजपा के पक्ष में 15.35 प्रतिशत का वोट स्विंग हुआ था। जाहिर है मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे तो गुजरात के वोटरों ने उनको खुलकर समर्थन दिया। बाद में मोदी के सीट छोड़ने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार राजन बेन धनंजय भट्ट को महज 5 लाख 26 हजार वोट ही मिले थे। उन्होंने 3 लाख 29 हजार 507 वोटों से जीत दर्ज की थी। मोदी को जहां वडोदरा में 11 लाख 61 हजार 577 लोगों ने वोट डाले थे वहीं उपचुनाव में यह घटकर 7 लाख 46 हजार 769 रह गए। यानी करीब 4 लाख वोटर सिर्फ मोदी के नाम पर बूथ तक पहुंचे थे। वाराणसी में मोदी के सामने ‘आप’ के अरविंद केजरीवाल मुख्य प्रतिद्वंद्वी थे। नरेंद्र मोदी को वाराणसी में 5 लाख 81 हजार 23 मत और अरविन्द केजरीवाल को 2 लाख 9 हजार 238 वोट पड़े थे। मोदी के खिलाफ जितने भी उम्मीदवार थे उन्हें कुल 3 लाख 90 हजार 722 वोट मिले थे। यानी अपने खिलाफ पड़े सभी मतों से मोदी ने 1 लाख 90 हजार 301 मत ज्यादा लिए थे। वडोदरा में भी उनके खिलाफ कुल 3 लाख 16 हजार 213 वोट पड़े थे और समूचे विपक्षी उम्मीदवारों के मुकाबले वहां भी मोदी को 5 लाख 29 हजार 251 वोट ज्यादा मिले थे। जाहिर है ऐसे में इस बार जब मोदी के खिलाफ कोई बड़ा नाम नहीं है तो सबकी निगाहें अब जीत के मार्जिन पर लगी हुई हैं। उन्हें इस बार 2014 के मुकाबले 22,374 वोट ज्यादा लेने होंगे।

9 वोटों से भी हो चुका है हार-जीत का फैसला
अब उनका जिक्र भी कर ही लेते हैं जो बस जैसे-तैसे जीत गए। 1989 के चुनाव में आंध्र प्रदेश की अनकापल्ली सीट से कांग्रेस के कांठला रामकृष्णन ने महज 9 वोटों से जीत हासिल की थी। यह लोकसभा में अब तक का सबसे कम अंतर से जीत का रिकार्ड है। इसकी बराबरी 1998 में भाजपा के सोम मरांडी ने की थी। बिहार की सोममहल सीट पर उन्होंने भी 9 वोटों से जीत दर्ज की थी।

25 साल बाद टूटा था पासवान का रिकार्ड
सबसे अधिक वोटों के अंतर से जीत का रिकार्ड माकपा के अनिल बसु के नाम है। अनिल बसु ने पश्चिम बंगाल की आरामबाग सीट पर 2004 के चुनाव में 5 लाख 92 हजार 502 वोटों से जीत दर्ज की थी। उन्हें 7 लाख 44 हजार 464 वोट मिले थे जबकि उनके खिलाफ भाजपा के स्वपन कुमार को महज 1 लाख 51 हजार 962 वोट मिले थे। उससे पहले यह रिकार्ड लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के नाम था जिन्होंने हाजीपुर से 1989 के चुनाव में 5 लाख 4 हजार 448 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। पासवान को 6 लाख 15 हजार 129 वोट मिले थे और उनके खिलाफ खड़े कांग्रेस के मनोहर पासवान को 1 लाख 10 हजार 681 वोट मिले थे। दिलचस्प ढंग से रामविलास पासवान ने 1977 में भी हाजीपुर से ही 4 लाख 24 हजार 545 वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर तत्कालीन रिकार्ड बनाया था जिसे बाद में 1998 में त्रिपुरा सीट से संतोष मोहन देव ने 4 लाख 28 हजार 984 के मतांतर से जीत हासिल कर तोड़ा था। हालांकि मत प्रतिशत के मामले में अभी भी पासवान ही सबसे आगे हैं जिन्होंने 1989 में 84.08 प्रतिशत मत हासिल किए थे। अनिल बसु को 77.16 प्रतिशत वोट मिले थे।

Anil Kapoor