समाज कल्याण विभाग ने मुर्दों को जारी कर दिया वृद्धा पेंशन

punjabkesari.in Tuesday, Jun 09, 2020 - 07:58 PM (IST)

बाराबंकी: समाज कल्याण विभाग द्वारा पेंशन योजना में मुर्दों का चयन करके उदारता की अनूठी मिसाल पेश की गई है। वृद्धा पेंशन के लिए लाभार्थी के रूप में मृतकों का चयन करने वाले अधिकारियों की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम ही होगी। मांगी गई सूचना के बदले दिये गए अधूरे असत्य व भ्रामक जबाब ने विभाग की पोल खोल कर रख दी है। विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई वर्ष 2016-17 की नवीन पेंशन स्वीकृति सूची इनकी उदारता का प्रत्यक्ष प्रमाण बन कर सामने है।

सूची के अनुसार क्रमांक 10 पर अंकित रजिस्ट्रेशन संख्या 31481038180 के जरिए दिनेश पुत्र बैजनाथ के खाता संख्या 750810100008943 में 1200 रुपया भेजा गया है। यह अलग बात है कि ग्राम विकास अधिकारी द्वारा 23 अप्रैल 2017 को जारी की गई परिवार रजिस्टर की नकल के मुताबिक दिनेश की 22 मार्च 2015 में मौत हो चुकी थी। यह तो महज बानगी भर है इस तरह के लगभग आधा दर्जन मृतकों के साथ ही निर्धारित आयु सीमा पूरी न करने वाले कई लोगों को पेंशन स्वीकृत कर विभागीय अधिकारियों ने अपना इकबाल बुलन्द किया था। भ्रष्टाचार की पोल खुलने के डर से 2 अप्रैल 2016 को नरेंद्र नाथ द्वारा मांगी गई 3 बिंदुओं की सूचना का जबाब देना समाज कल्याण अधिकारी ने मुनासिब नहीं समझा।

आवेदक द्वारा मुख्य विकास अधिकारी के यहां 5 मई 2016 को सूचना दिलाने हेतु डाली गई अपील का भी कोई असर नहीं हो सका। अपने 3 सवालों का जबाब पाने के लिए आवेदक को आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा। राज्य सूचना आयोग द्वारा मामले की सुनवाई के लिए निर्धारित की गई मार्च 2017 की 3 तारीख़ को भ्रष्ट अधिकारी ने नजर अंदाज करने में तनिक भी संकोच नहीं किया। आयोग द्वारा अपनाये गए सख्त रवैया से हड़बड़ाए अधिकारी ने आवेदक को असत्य,अधूरी व भ्रामक सूचनाएं देकर अपना पीछा छुड़ाना चाहा। अगली सुनवाई पर आवेदक द्वारा दी गई लिखित आपत्ति के कारण पेशी पर पहुंचे इनके बाबू को आयोग की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। आयोग में लिखित रूप से सूचना देने का वादा करने के बावजूद एक बार फिर इनके द्वारा भेजे गए पत्रांक संख्या 206 दिनांक 6 मई के जरिये आवेदक को गुमराह करने का प्रयास किया गया।पत्र में कहा गया है कि आप द्वारा मांगे गए अभिलेख 5 वर्ष से अधिक पुराने हैं जिनको रखे जाने का नियम विभाग के दिशा निर्देशों में नहीं है। वृद्धा पेंशन केआवेदन हेतु शासन स्तर से निर्धारित मानकों की प्रमाणित प्रति देने की जगह इनके द्वारा आवेदन करने की प्रक्रिया बताते हुए अपना पल्ला झाडऩे का प्रयास किया गया।

आयोग के आदेशों की अवहेलना करने से राज्य सूचना आयुक्त ने अपील संख्या एस- 6-3125/ए/2016 की सुनवाई करते हुए 26 सितम्बर 2017 में अधिनियम की धारा 20(1) के तहत रुपया 15000 का अर्थ दण्ड अधिरोपित कर दिया गया।आयोग द्वारा निर्धारित किये गये अर्थ दंड का इनकी कार्य शैली पर असर न होने पर तत्कालीन सूचना आयुक्त स्वदेश कुमार ने 6 जुलाई 2018 में वाद की सुनवाई करते हुए तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अमरनाथ यति से अर्थ दंड वसूल किये जाने का फरमान सुना डाला। इतना सब कुछ होने के बाद भी आवेदक को आज भ्रष्ट नौकरशाही द्वारा अब तक मांगी गई सूचना नहीं दी जा सकी है।


 


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Edited By

Ramkesh

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