सोनिया गांधी ने ''अजान'' की आवाज सुनते ही रोका भाषण, साड़ी के पल्लू से ढका सिर!

punjabkesari.in Tuesday, Nov 22, 2016 - 09:08 AM (IST)

इलाहाबाद: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इलाहाबाद में इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से आयोजित उनकी 100वीं जन्मशती के दुलर्भ फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस मौके पर सोनिया गांधी ने अपने भाषण के बीच अजान की आवाज सुनकर अपना भाषण रोका और साड़ी के पल्लू से सिर ढक लिया। इसके बाद सोनिया ने भाषण में कहा कि 2 दिन पहले इंदिरा जी का जन्मशताब्दी वर्ष मनाना शुरू किया है। इस आयोजन के तहत इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़ी फोटो प्रदर्शनी लगाई गई है। यह प्रदर्शनी आम जनता के लिए 22 नबम्बर से पांच जनवरी तक खुली रहेगी। इस प्रदर्शनी का नाम 'इंदिरा द लाइफ आफ करेज' दिया गया है।

इंदिरा गांधी सास ही नहीं, बल्कि मां की तरह थीं
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि इंदिरा गांधी भारत को मजबूत और विकसित बनाना चाहती थीं। इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से आयोजित उनकी 100वीं जन्मशती के दुलर्भ फोटो प्रदर्शनी उद्घाटन के अवसर पर सोनिया गांधी ने आयोजित सभा में कहा कि इंदिरा जी सिर्फ उनकी सास ही नहीं, बल्कि मां की तरह थीं। मैंने उनसे ही भारतीय संस्कृति और राजनीति सीखी है। उन्होंने कहा कि यह मात्र प्रदर्शनी नहीं बल्कि इंदिरा के साहस और संघर्षशील व्यक्तित्व को समेटे दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी ने इंदिरा गांधी के बारे में सुना है। चित्रों में उनके संवेदनशील और करिश्माई व्यक्तित्व के बारे में लोगों को प्रदर्शनी से पता चलेगा। स्वराज भवन में इंदिरा गांधी का जन्म हुआ। यहीं से उन्होंने राजनीति में कदम रखा। स्वराज भवन से उनका भावनात्मक लगाव रहा।

जाति, धर्म से ऊपर उठकर देश के लिए काम किया
सोनिया गांधी ने कहा कि जब 1966 में वह प्रधानमंत्री बनीं तो देश तमाम संकटों से जूझ रहा था। उन्होंने उस समय चुनौतियों का दृढ़ता के साथ सामना किया था। उन्होंने विदेश नीति को आधार दिया और जाति, धर्म से ऊपर उठकर देश के लिए काम किया। वह देश को विभाजन करने वाली ताकतों से अंतिम सांस तक लड़ती रहीं। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश की एकता और अखंडता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया लेकिन देश के सम्मान पर आंच नहीं आने दी। देश को मजबूत बनाने के लिए उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लेना होगा ताकि आने वाले दिनों में यह उनके सपनों का देश बन सके।

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