सपा-कांग्रेस गठबंधन का तोड़ ढूंढ रही BJP

punjabkesari.in Saturday, Feb 04, 2017 - 05:24 PM (IST)

लखनऊ: शुरू में तो सब कुछ चंगा लगता है, लेकिन असल तस्वीरें तो धीरे-धीरे सामने आती है। सपा और कांग्रेस की नई दोस्ती में भी कुछ ऐसा ही दिखाई पड़ रहा है। आगे-आगे देखिए होता है क्या। सामान्य तौर पर इस बात को सब जानते हैं कि राहुल और अखिलेश दोनों का ही इस दोस्ती के पीछे का एक मकसद मुस्लिम वोटों को बंटने से रोकना है। और इन वोटों को एकजुट रोकने के लिए अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह की भी बात नहीं मानी, जो कि गठबंधन के खिलाफ थे। लेकिन अब इस दोस्ती के बाद अलग ही ‘रंग’ सामने आ रहे हैं। हालांकि, भाजपा की भी इस पर नजर है। वजह यह है कि इस ‘रंग’ से पश्चिम उत्तर प्रदेश में विपरीत ध्रुवीकरण भी देखने को मिल सकता है। लेकिन फिलहाल तो भाजपा ने देखो और इंतजार करो की नीति अपनाई हुई है।

दोनों ने पूरा ध्यान लखनऊ और आगरा दोनों जगह रखा
बहरहाल भाजपा के इस इंतजार के बीच अखिलेश व राहुल के लिए बेहतर यही है कि ये दोनों खुद को मुस्लिमों के हितों के ‘नए हितकारी’ के रूप में अपने आपको पेश करते रहें। वैसे सच यह है कि इन दोनों ने ही समुदाय के लोक कल्याण के लिए देश की मुख्यधारा में अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्तर और इच्छाओं के अनुरूप कुछ खास नहीं किया है लेकिन अब जो बात इनके लिए मायने रखती है, वह है कि खुद को एक प्रतीकात्मकता के जरिए लगातार व्यस्त रखना और इन कई प्रतीकों में से एक है अपने रोड शो को मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से लेकर जाना। दोनों ने ही पूरा ध्यान लखनऊ और आगरा दोनों जगह रखा।

आगरा में सोच-समझकर रोड शो का रास्ता बदला
हालांकि, लखनऊ में दोनों दलों के मैनेजरों ने रास्ते चुनने में जरूर गलती की, जो गुजरे वाहन पर एस.पी.जी. सुरक्षा गार्डों के लकड़ी की छड़ से बिजली के तार हटाते और राहुल और अखिलेश के झुककर बैठते हुए आईं तस्वीरों के रूप में साफ दिखाई पड़ीं। इन तस्वीरों की सोशल मीडिया ने जमकर खिंचाई भी की। इससे दोनों पार्टियों के मैनेजरों ने सबक भी लिया और आगरा में सोच-समझकर रोड शो का रास्ता बदलकर इस जगहंसाई से तो इन दोनों को बचा लिया, लेकिन आगरा रोड शो से पहले दोनों दलों के बीच एक अलग ही विवाद देखने को मिला।

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