सहारनपुर के गंगोह-नकुड़-बेहट सीट पर मुस्लिम-जाट वोटरों के भरोसे SP-RLD, BJP- BSP भी झोंक रही है पूरी ताकत

punjabkesari.in Saturday, Jan 29, 2022 - 07:07 PM (IST)

लखनऊ: सहारनपुर जिले की सात विधानसभा सीटों पर सियासी घमासान मचा हुआ है। यहां सपा-रालोद गठबंधन और बीजेपी में आमने-सामने की टक्कर चल रही है तो बीएसपी अपने परंपरागत वोटरों के साथ मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है। सहारनपुर नगर, सहारनपुर देहात, बेहट, नकुड़, गंगोह, देवबंद और रामपुर मनिहारन सीटों के समीकरण पर डालते हैं एक नजर।

सहारनपुर जिले के सहारनपुर नगर सीट पर 2017 मेंसपा के टिकट पर संजय गर्ग विधायक चुने गए थे। संजय गर्ग ने भारतीय जनता पार्टीके कैंडिडेट राजीव गुंबेर को 4 हजार 6 सौ 36 वोटों के कम मार्जिन से हराया था। इस बार भी सहारनपुर नगर सीट से संजय गर्ग की किस्मत पर सपा-रालोद गठबंधन ने भरोसा जताया है। वहीं बीजेपी ने भी एक बार फिर से राजीव गुम्बर पर ही भरोसा जताया है। तो बीएसपी ने मनीष अरोड़ा को सहारनपुर नगर से चुनावी मैदान में उतारा है। सहारनपुर नगर विधानसभा में लगभग 3 लाख 93 हजार मतदाता हैं। यहां डेढ़ लाख मुस्लिम, 70 हजारपंजाबी, 70 हजार सिख,40 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। वहीं इसके अलावा 15 हजार गुज्जर और 15 हजार जैन वोटर भी चुनावी नतीजों को तय करने में अहम भूमिका अदा करते हैं। बीएस पीके कैंडिडेट मनीष अरोड़ा पंजाबी और सिख वोटरों में सेंध लगाकर एक बार फिर बीजेपी कैंडिडेटके लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। वहीं सपा कैंडिडेट के पक्ष में मुस्लिम वोटरोंकी गोलबंदी साफ साफ नजर आ रही है।

सहारनपुर जिले की सहारनपुर देहात सीट से 2017 में कांग्रेस के कैंडिडेट मसूद अख्तर ने बीएसपी के जगपाल सिंह को 12 हजार 3 सौ 24 वोटों के मार्जिन से हराया था। 2022 में बीएसपी के जगपाल सिंह की किस्मत परबीजेपी ने भरोसा किया है। वहीं इस बार बीएसपी ने अजब सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। सपा-रालोद गठबंधन ने आशु मलिक की किस्मत पर भरोसा किया है। सहारनपुर देहात सीट के नतीजों को तय करने में यहां के सामाजिक समीकरण की बड़ी भूमिका रहती है। यहां एक लाख 30 हजार मुस्लिम, 1 लाख 15 हजार एससी और 15 हजार ठाकुर वोटर हैं। इसके अलावा 15 हजार कश्यप, 6 हजार यादव, 6 हजार गुज्जर और 4 हजार धीमान वोटर हैं। इस सीट पर चुनावी नतीजों को तय करने में मुस्लिम और अनुसूचित जाति केवोटरों की अहम भूमिका रहेगी। 

सहारनपुर जिले के बेहट विधानसभा सीट पर 2017 के चुनाव में कांग्रेस के नरेश सैनीविधायक चुने गए थे। नरेश सैनी ने भारतीय जनता पार्टी के महावीर सिंह राणा को 25 हजार 5 सौ 86 वोटों के मार्जिन से हराया था। 2022 में नरेश सैनी ने पाला बदलकर बीजेपी का टिकट हासिल कर लिया है। वहीं सपा-रालोद ने उमर अली खान को टिकट दिया है। तो बीएस पीने रईस मलिक को बेहट सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। बेहट विधानसभा सीट पर मुस्लिमों की भूमिका निर्णायक रहती है। इस सीट पर करीब 53 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। सपा-रालोद गठबंधन के कैंडिडेट उमर अली खान दिल्ली की जामा मस्जिद के शाहीइमाम सैयद अहमद बुखारी के दामाद हैं। अगर इस सीट पर मुस्लिमों ने एकजुट होकर सपा रालोद कैंडिडेट को वोट दिया तो उमर अली खान की जीत तय है।

सहारनपुर जिले की नकुड़ विधानसभा सीट पर 2017 में बीजेपी के कैंडिडेट डॉक्टर धरम सिंह सैनी ने जीत हासिल की थी। सैनी नेकांग्रेस पार्टी के इमरान मसूद को 4 हजार 57 वोटों के मार्जिन से हराया था। 2022 में दोनों ही नेताओं ने पाला बदल लिया है। धरम सिंह सैनी ने बीजेपी को झटकादेते हुए सपा का दामन थाम लिया है। सैनी को सपा-रालोद ने अपना कैंडिडेट बनाया है। तो बीजेपी ने मुकेश चौधरी की किस्मत पर भरोसा जताया है। तो बीएसपी ने साहिल खान कोनकुड़ के चुनावी मैदान में उतारा है। नकुड़ के चुनावी नतीजों को प्रभावित करनेमें मुस्लिम वोटरों की बड़ी भूमिका होती है। यहां तकरीबन एक लाख 20 हजार मुस्लिम वोटर हैं। वहीं 50 हजार एससी, 40 हजार गुज्जर, 35 हजार सैनी और 25 हजार कश्यप वोटर नकुड़ के नतीजे पर असर डालते हैं। 15 हजार जाट,15 हजार ब्राह्मण,10 हजार ठाकुर और 8 हजार वैश्य वोटर भी खेल बनाने बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं। सपा-रालोद गठबंधन मुस्लिम,जाट  औरसैनी वोटरों को साधने की कोशिश कर रहा है। तो बीजेपी यहां पर हिंदू वोटरों के ध्रुवीकरण की कोशिश में लगी है। अब चुनावी नतीजे ही तय करेंगे कि कौन सा पक्षअपनी रणनीति को सही तरीके से अंजाम पर पहुंचाने में कामयाब रहा है।

सहारनपुर जिले की गंगोह सीट पर 2017 में प्रदीपचौधरी विधायक चुने गए थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदीप चौधरी के सांसद बनने के बाद खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। 2019 के उपचुनाव में बीजेपीके कीरत सिंह ने कांग्रेस के नोमान मसूद को 5 हजार 4 सौ 19 वोटों के मार्जिन से पराजित किया था। 2022 में एक बार फिर बीजेपी ने कीरत सिंह गुर्जर को ही गंगोह से टिकट दिया है। वहीं बीएसपी ने नोमान मसूद को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है। इधर सपा-रालोद गठबंधन ने गंगोह सीट से चौधरी इंद्रसेन को टिकट दिया है। यहां 95 हजार मुस्लिम, 50 हजार एससी, 30 हजार गुज्जर और 20 हजार मौर्य-सैनी वोटर हैं। इसके अलावा 15 हजार ठाकुर,15 हजार ब्राह्मण और 15 हजार कश्यप वोटर भी गंगोह के नतीजों पर असर डालते हैं। बीएसपी यहां मुस्लिम-एससी वोटर को एक मंच पर लानेकी कोशिश कर रही है। अगर नोमान मसूद के चेहरे पर मुस्लिमों ने बीएसपी को वोटदिया तो बीएसपी की दावेदारी मजबूत हो जाएगी।

सहारनपुर जिले की देवबंद सीट पर 2017 में बीजेपीके बृजेश ने बीएसपी के माजिद अली को 29 हजार चार सौ  वोटों के मार्जिन से हराया था। इस बार देवबंदसीट पर सियासी घमासान मचा हुआ है। सपा के सिंबल पर कार्तिकेय राणा नामांकन दाखिल कर चुके हैं, लेकिन माविया अली के समर्थक भी इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। अब इस सीट के वोटरों की निगाह माविया अली के अगले सियासी कदम पर टिक गई है। अगर माविया अली ने निर्दलीय चुनाव लड़ा तो वे सपा के कैंडिडेट को सीधानुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं बीजेपी ने एक बार फिर बृजेश सिंह रावत की किस्मतपर ही भरोसा जताया है तो बीएसपी ने यहां से चौधरी राजेंद्र सिंह को टिकट दिया है। अब बात करते हैं देवबंद के सामाजिक समीकरण की। देवबंद में ठाकुर औरमुस्लिम वोटरों का दबदबा रहा है। सपा और बीजेपी ने ठाकुर जाति के कैंडिडेट परदांव लगाया है। सपा को उम्मीद है कि मुस्लिम के साथ जाटों का भी उन्हें साथ मिलसकता है। यहां 90 हजार मुस्लिम, 65 हजार एससी, 57 हजार ठाकुर और 35 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। वहीं 30 हजार गुर्जर वोटर भी जीत हार को तय करने मेंअहम भूमिका निभाते हैं।

सहारनपुर जिले के रामपुर मनिहारन सुरक्षित सीटसे 2017 में बीजेपी के देवेंद्र निम विधायक चुने गए थे। 2022 में बीजेपी ने एकबार फिर देवेंद्र निम पर भरोसा जताया है। वहीं यहां से सपा नेता विवेक कांत रालोदके चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे। बीएसपी ने यहां से रविन्द्र कुमार मोल्हू कोटिकट दिया है। यहां अनुसूचित जाति और मुस्लिम वोटर नतीजों को तय करने मेंनिर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इस सीट पर 70 हजार एससी, 48 हजार मुस्लिम और 32 हजार गुज्जर वोटर हैं। वहीं इसके अलावा 28 हजार ब्राह्मण और 25 हजार ठाकुर वोटरभी अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा यहां 49 हजार अन्य मतदाता भी चुनावी नतीजों पर असर डालते हैं। सहारनपुर जिले की तमाम सीटों पर सपा-रालोद गठबंधन के सामाजिक समीकरण की अग्नि परीक्षा होने वाली है। अगर वे इस अग्निपरीक्षा में कामयाब रहे तो यहां बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। 


 


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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