सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में शामिल हुए अखिलेश, 'काम बोलता है' मैगजीन किए जारी
punjabkesari.in Saturday, Mar 14, 2020 - 01:14 PM (IST)
लखनऊः लखनऊ में समाजवादी पार्टी कार्यालय में शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। सभी राज्यों के सपा प्रदेश अध्यक्षों को भी बैठक में बुलाया गया। अखिलेश यादव ने काम बोलता पर आधारित मैगजीन का उद्घाटन भी किया। वहीं पार्टी ऑफिस के बाहर सपा कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की। इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवम पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव, उपाध्यक्ष किरणमय नंदा, इंद्रजीत सरोज, जया बच्चन,नेता विधान मंडल दल राम गोविन्द चौधरी, नेता विधान परिषद् अहमद हसन समेत कई नेता शामिल हुए।
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने शुक्रवार को बताया कि शनिवार को पार्टी राज्य मुख्यालय पर दल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी। उन्होंने बताया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर चर्चा होगी।
चौधरी ने आरोप लगाया, ‘‘केन्द्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की गलत और संविधान विरोधी नीतियों की वजह से देश को बहुत नुकसान हो रहा है। किसान, नौजवान, गरीब, वंचित हर वर्ग त्रस्त है। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सरकार के झूठ से लोग परेशान हैं। बैठक में इन तमाम विषयों पर विस्तार से चर्चा होगी और भविष्य की रणनीति तय की जाएगी।''
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा की करारी पराजय के बाद पार्टी की यह पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक हो रही है। सूत्रों के मुताबिक कार्यकारिणी बैठक में जनता से जुड़े मुद्दों पर पार्टी को और मुखर बनाने के लिये धरना-प्रदर्शनों तथा आंदोलनों की रूपरेखा तय करने पर भी विचार किया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि पार्टी की कोशिश होगी कि वह बसपा की पूर्व सरकार के कार्यकाल के समय वाले तेवर अपनाते हुए जनता की लड़ाई सड़कों पर लड़े। उन्होंने बताया कि जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये पार्टी पूरे प्रदेश में जगह-जगह साइकिल रैलियां निकालने पर भी विचार कर सकती है।
गौरतलब है कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में 224 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाली सपा का उसके बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था। वर्ष 2017 में उसने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था और समझौते के तहत मिली 298 में से उसे महज 47 सीटों पर ही कामयाबी मिल सकी थी। उसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा के साथ गठबंधन करके लड़ा और 38 में से केवल पांच सीटें उसके खाते में आयी थीं।