UP में IAS-IPS विवाद पर बोले श्री कांत शर्मा, कहा-डीएम और कप्तान मिलकर कर रहे काम

punjabkesari.in Saturday, May 12, 2018 - 06:49 PM (IST)

लखनऊः उत्तर प्रदेश में आईपीएस और आईएएस अफसरों में विवाद शुरू हो गया है। इसका कारण गृह विभाग का वह आदेश है, जिसके तहत एसएसपी और एसपी को पुलिस इंस्पेक्टरों और एसओ स्तर के अफसरों के तबादले के लिए जिलाधिकारी की अनुमति लेनी होगी। आईपीएस अफसरों की एसोसिएशन ने सरकार के इस आदेश पर अपना विरोध जताया है। अब इस मामले पर कैबिनेट मंत्री श्री कांत शर्मा का बयान सामने आया है।

विवाद को बताया निराधार
उन्होंने कहा कि पहले तो आईपीएस और आईएएस अफसरों में कोई विवाद नहीं हुआ है। डीएम और कप्तान का दायित्व बनता है कि वह अपना काम समवन्य से करें। वो विवादों पर नहीं काम पर अधिक ध्यान दें। नए फैसले का कप्तान व डीएम के साथ सभी इस आदेश पर ध्यान दें और उसका पालन करें। कैबिनेट मंत्री ने इस मामले को निराधार बताया और कहा जिलधिकारी और कप्तान मिलकर काम कर रहे हैं।

यह है विवाद 
गौरतलब है कि पिछले साल कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग की तरफ से जारी शासनादेश में कहा गया था कि हर जिले में डीएम की अध्यक्षता में महीने की सात तारीख को क्राइम मीटिंग होगी। उस वक्त इस आदेश का जमकर विरोध हुआ था और तत्कालीन डीजीपी सुलखान सिंह की तरफ से मुख्य सचिव को पत्र लिख कर इस आदेश को वापस लेने की गुजारिश की गई थी, लेकिन, अब प्रमुख सचिव गृह ने डीजीपी को पत्र लिख कर इस आदेश सख्ती से लागू कराने की बात कही है। साथ ही कहा है कि एसओ और इंस्पेक्टर स्तर के अफसरों के तबादले के लिए जिलाधिकारी की अनुमति लेनी जरूरी है।

प्रमुख सचिव गृह ने डीजीपी को भेजे पत्र में पिछले शासनादेश का हवाला दिया है। पत्र में लिखा है कि किसी भी जिले में एसओ और इंस्पेक्टर की तैनाती या तबादला करने से पहले जिले के एसएसपी/एसपी को डीएम से लिखित अनुमोदन लेना होगा। उत्तर प्रदेश पुलिस रेगुलेशन की धारा छह व 524 में भी इसका प्रावधान है। हालांकि, ताजा मामले को लेकर आईपीएस एसोसिएशन में भी चर्चा हुई और इस बात में सहमति बनी कि वह इस मामले में दखल नहीं देगी।क्योंकि, शासन ने पत्र डीजीपी को लिखा है और पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने पूर्व के मामले में जिस तरह से स्टैंड लिया था। उसी तरह वर्तमान डीजीपी भी स्टैंड लें और शासन को बताएं, ताकि इस विवाद का पटाक्षेप हो सके।

Ruby