मुस्लिम धर्मगुरु रशीद फरंगी महली का बड़ा बयान, कहा- मस्जिद में नमाज पढ़ने की महिलाओं को नहीं है मनाही

punjabkesari.in Thursday, Feb 09, 2023 - 05:37 PM (IST)

लखनऊ: मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के एग्जीक्यूटिव मेंबर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मस्ज़िद में महिलाओं के नमाज़ पढ़ने को लेकर बड़ा बयान दिया है।  उन्होंने कहा कि इस्लाम में महिलाओं को मस्ज़िद में नमाज़ के लिए मना नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि बहुत मस्जिदों में औरतें नमाज़ पढ़ती है। उन्होंने कहा कि राजधानी लखनऊ में ईदगाह लखनऊ जामा मस्जिद में औरतें जुमे की नमाज अदा करती है।  महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश कर नमाज़ अदा करने की इजाज़त के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले पर उन्होंने अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पर्सनल ला बोर्ड ने कोर्ट में वाजिब एफिडेविट दाख़िल किया है।



मुस्लिम महिला मस्जिद में नमाज़ अदा करने के लिए स्वतंत्र है: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि महिलाओं को मस्जिद के अंदर प्रवेश कर नमाज़ अदा करने की इजाज़त है। बोर्ड ने कहा कि मुस्लिम महिला नमाज़ अदा करने के वास्ते मस्जिद में दाखिल होने के लिए स्वतंत्र हैं और यह उनपर निर्भर करता है कि वह मस्जिद में नमाज़ अदा करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहती हैं या नहीं। एआईएमपीएलबी ने शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर कर यह जानकारी दी है। यह हलफनामा मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद में जाकर नमाज़ अदा करने से संबंधित एक याचिका को लेकर दाखिल किया गया है।



मुस्लिम महिलाओं के मस्जिदों में प्रवेश पर लगी रोक असंवैधानिक
वकील एम आर शमशाद के जरिये दायर हलफनामे में कहा गया है कि इबादतगाहें (जो वर्तमान मामले में मस्जिदें हैं) पूरी तरह से निजी संस्थाएं हैं और इन्हें मस्जिदों के 'मुत्तवली' (प्रबंधकों) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। फरहा अनवर हुसैन शेख ने 2020 में शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर भारत में मुस्लिम महिलाओं के मस्जिदों में प्रवेश पर लगी कथित रोक के चलन को लेकर निर्देश देने का आग्रह किया था और इसे अवैध और असंवैधानिक बताया था। याचिका पर मार्च में सुनवाई हो सकती है। हफलनामे में कहा गया है कि एआईएमपीएलबी विशेषज्ञों की संस्था है और इसके पास कोई शक्ति नहीं है और यह सिर्फ इस्लाम के सिद्धांतों पर अपनी सलाह जारी कर सकती है।



 मुस्लिम महिलाएं  कही भी पढ़ें नमाज उन्हें एक जैसा ही मिलेगा‘सवाब' 
हलफनामे में कहा गया है कि धार्मिक ग्रंथों, सिद्धांतों, इस्लाम के मानने वालों के धार्मिक विश्वासों पर विचार करते हुए यह दलील दी जाती है कि महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश कर नमाज़ अदा करने की इजाज़त है। एआईएमपीएलबी इस बाबत किसी विपरीत धार्मिक मत पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। हलफनामे में कहा गया है कि इस्लाम ने महिलाओं के लिए यह जरूरी नहीं किया है कि वे दिन में पांच वक्त की नमाज़ जमात (सामूहिक) के साथ पढ़ें या जुमे (शुक्रवार) की नमाज़ जमात के साथ अदा करें। हालांकि यह मुस्लिम पुरुषों के लिए जरूरी है। इसमें कहा गया है कि इस्लाम के सिद्धांत के मुताबिक, मुस्लिम महिलाएं चाहे घर पर नमाज़ पढ़ें या मस्जिद में नमाज़ अदा करें, उन्हें एक जैसा ही ‘सवाब' (पुण्य) मिलेगा।

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Ramkesh