''शरियत में दखलअंदाजी कर रहा सुप्रीम कोर्ट''

punjabkesari.in Tuesday, Aug 22, 2017 - 03:51 PM (IST)

सहारनपुरः तीन तलाक पर आखिरकार भारत की सर्वोच्‍च अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को बहुमत से असंवैधानिक करार दे दिया है। इसी के साथ मुस्‍लिम संगठनों ने भी अपने-अपने तरीके से सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रियाएं व्‍यक्‍त की हैं।

इन सब के बीच फतवों की नगरी कहे जाने वाले दारुल-उलूम देवबंद ने कोर्ट के फैसले को शरियत में दखलअंदाजी बता दिया है। दारुल उलूम के उलेमा मुफ्ती अशरफ फारुखी ने कहा कि जजमेंट पर पूरी तरह से कुछ तभी बोला जा सकता है जब इसकी कॉपी हमारे पास आ जाएगी। वहीं उन्‍होंने ये भी कहा कि 6 महीने तक तीन तलाक पर रोक लगाना एक तरह से शरीयत में दखलअंदाजी है।

मुफ्ती अशरफ फारुखी ने कहा अगर छह माह में तीन तलाक को लेकर कोई कानून बनाने की बात आती है तो हमें पूरा यकीं है कि पार्लियामेंट में सेक्‍युलर ताकते मजबूत हैं और वहां भी मुस्‍लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की जीत होगी।'

बता दें कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशभर में मुस्‍लिम महिलाओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। अधिक तादात में मुस्‍लिम महिलाओं ने इसे सही ठहराया है, जबकि कुछ महिलाएं इसे शरियत में दखलंदाजी बता रही हैं।

तीन तलाक : क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीन तलाक पर 6 महीने के लिए रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह तीन तलाक पर कानून बनाए। सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई कि केंद्र जो कानून बनाएगा उसमें मुस्लिम संगठनों और शरिया कानून संबंधी चिंताओं का खयाल रखा जाएगा। केंद्र ने राजनीतिक दलों से अपने मतभेदों को दरकिनार रखने और तीन तलाक के संबंध में कानून बनाने में केन्द्र की मदद करने को कहा है।