'टीचर्स डे स्पेशल': खुद की जिंदगी में अंधेरा होने के बावजूद दर्जनों छात्रों के जीवन को किया रोशन

punjabkesari.in Wednesday, Sep 05, 2018 - 11:44 AM (IST)

आगराः शिक्षक ज्ञान का रुप होता है। सैकड़ों बच्चों का भविष्य एक शिक्षक के हाथ में ही होता है। बच्चे जो भी अपने टीचर से पढ़ते है वही सीखते हैं। आज हम आपको ऐसे ही शिक्षक से मिलाने जा रहे हैं जिसने दिव्यांग (नेत्रहीन) होते हुए भी दर्जनों छात्रों के भविष्य को रोशन कर दिया। 

हम बात कर रहे हैं आगरा के वजीर पुरा में रहने वाले संगीत शिक्षक रोहित सूतैल की। जन्म से ही दृष्टिहीन होने से रोहित की जिंदगी में भले ही अंधेरा छा गया था, मगर जोश, जुनून और जज्बे ने इस अभिशाप को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। साज पर अंगुलियों की थिरकन और सुरीले सुरों का संगम जिंदगी में रौशनी बिखेरने लगीं। समय-समय पर रोहित को तालियों की गड़गड़ाहट से मिली तारीफ ने मंजिल की राह भी दिखाई। अंधेरे में भी उम्मीदों का दीपक प्रज्ज्वलित कर दिया। आज रोहित एक कामयाब संगीत शिक्षक है।

रोहित बताते हैं कि जन्म से दृष्टिहीनता को दूर कराने के लिए जब दवा के साथ दुआ का कोई असर नहीं हुआ तो माता-पिता को उनके भविष्य की चिंता सताने लगी। दस साल की उम्र में रोहित को अजमेर में दृष्टिबाधित विद्यालय में दाखिला दिला दिया। यहां पर वर्ष 1991 में संगीत के शिक्षक जगमोहन मिश्र को रोहित में संगीत के प्रति दिलचस्पी का आभास हुआ। उन्होंने रोहित को शास्त्रीय गायन सिखाना शुरू किया। 

जज्बा और जुनून से रोहित ने शास्त्रीय संगीत में अपनी प्रतिभा निखार ली। 1996 में आगरा लौटने पर उन्होंने शहर के भारतीय संगीतालय में शास्त्रीय गायन की शिक्षा ली। 2005 में संगीत में प्रभाकर (बीए व बीएड डिग्री के समकक्ष) की डिग्री हासिल करने के बाद यहीं पर शिक्षक बन गए। रोहित अब किसी परिचय के मोहताज नहीं रहे। वे ताज महोत्सव और जयपुर के संगीत समारोहों में अपनी प्रस्तुतियों से पूरे पंडाल को मंत्रमुग्ध कर चुके हैं। आगरा आकाशवाणी में भी ऑडिशन दे चुके हैं।  दिव्यांग रोहित अब तक दर्जनों छात्रों को संगीत की शिक्षा दे चुके है। उनसे संगीत सीखने आने वाले छात्र भी अपने गुरु के ज्ञान के कायल हैं।
 

Ruby