भूख से बेबस मजदूरों के छलके आंसू, 2 हजार में अंगूठी और एक हजार में बर्तन बेच पहुंचे घर

punjabkesari.in Sunday, May 17, 2020 - 06:29 PM (IST)

लखनऊ: कोरोना वायरस को लेकर देशव्यापी लॉकडाउन जारी है। ऐसे में जूसरे राज्यों में रह रहे मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का भयानक संकट आन पड़ा तो वे अपने घरों के निकल पड़े। इसी क्रम में मुंबई से घर पहुंचे चार लोगों की दास्ता दिल को दहला देने वाली है। भूख से बेबस लोगों ने दो हजार में अंगूठी और एक हजार में बर्तन बेचकर घर के लिए निकल पड़े थे। आटो रिक्शा से चल कर चार दिन में शुक्रवार की शाम मेंहनगर पहुंचे। यहां मेडिकल परीक्षण के बाद वह घर आए। परिवार को देख और अपनी दास्तां वया किया तो लोगों की आंखे छलक पड़ी।

50 दिन के लॉकडाउन में समाप्त हुए रुपये
बता दें कि मेंहनगर तहसील के कुसमुलिया गांव निवासी 42 वर्षीय रामहित यादव पुत्र फिरती के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। जिसके कारण वह 20 साल पूर्व रोजगार की तलाश में मुंबई गया था। वहां काम न मिलने पर आटो रिक्शा चलाने लगा। कुछ दिन बाद अपना निजी आटो रिक्शा खरीद लिया। गांव के सुधीर यादव, कमलेश मौर्य व रविन्द्र कुमार के साथ कांदीवाली में एक कमरे में रहता था। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन ने इन सबकी मुसीबत बढ़ा दी। जो कमा कर रखा था 50 दिन के लॉकडाउन में समाप्त हो गया।

सुधीर ने दो हजार में बेची अंगूठी
इसी बीच पैसे के अभाव में फाका होने लगा। एक रात सभी भूखें सोए। चारों ने फैसला किया कि यहां रहेंगे तो भूख से मर जाएंगे। सभी ने घर जाने का निश्चय किया। अगले दिन घर जाने के लिए पैसे जुटाने में लग गए। सुधीर ने अपनी अंगूठी को दो हजार में बेच दिया। रविन्द्र कुमार ने हजारों रुपए मूल्य के बर्तन का एक हजार में सौदा कर दिया। कमलेश मौर्य अपने किसी रिश्तेदार से कुछ रुपये कर्ज लिया।

अनवरत चल कर चार दिन में पहुंचे गांव
इसके बाद सभी लोग रामहित के आटो रिक्शा से घर के लिए निकल पड़े। भूखे प्यासे चलते रहे। आटो के लिए पेट्रोल की भी व्यवस्था साथ लेकर चल रहे थे। कुछ समय आराम करने के बाद ये लोग अनवरत चल कर चार दिन में गांव पहुंचे।

 

 

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Umakant yadav