गायों पर होता रहा अत्याचार फिर भी सरकार रही मौन, अब आया चुनाव तो गाय को बता रहे पूजनीय: लल्लू

punjabkesari.in Friday, Dec 24, 2021 - 07:38 PM (IST)

लखनऊ: कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक होने पर प्रधानमंत्री को गोवर्धन और पशुधन का ध्यान आया है तथा पिछले पौने पांच साल से राज्य की गौशालाओं में गायों पर हो रहे अत्याचार पर योगी सरकार मौन साधे रही। शुक्रवार को कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय से जारी एक बयान में लल्‍लू ने कहा कि पिछले पौने पांच साल से उत्तर प्रदेश की गौशालाओं में गायों पर हो रहे अत्याचार पर योगी सरकार मौन साधे रही और मोदी सरकार ने भी इस दिशा में कोई काम नहीं किया तथा न ही कभी गाय का नाम लिया। उन्होंने कहा कि अब जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक है तो मोदी जी को गोवर्धन और पशुधन का ध्यान आया है। लल्लू ने कहा कि मोदी जनता को बता रहे हैं कि गाय पूजनीय होती है, यह कौन नहीं जानता, मोदी जी को बताना चाहिए कि गौशालाओं में गायों की बदहाली के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने क्या किया है।

 प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाद्रा ने कई बार गायों की बदहाली के मुद्दे को मजबूती से उठाया, लेकिन योगी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने पर जब पशुधन के लिए छत्तीसगढ़ मॉडल लागू करने की बात कर रही हैं, तब मोदी जी और योगी जी को भी गाय की याद आने लगी है, मगर अब देर हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा था कि देश में गाय और गोवर्धन की बात करने को ‘‘कुछ लोगों'' ने ‘‘गुनाह'' बना दिया है और ऐसे लोग यह भूल जाते हैं कि देश के आठ करोड़ परिवारों की आजीविका ऐसे ही पशुधन से चलती है, जो ‘‘हमारे लिए पूजनीय'' है।

मोदी ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में गुजरात के बनासकांठा जिला दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड की बनास डेयरी सहित 2,095 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने के बाद अपने संबोधन में कहा, ‘‘गाय कुछ लोगों के लिए गुनाह हो सकती है, हमारे लिए गाय माता है, पूजनीय है। गाय-भैंस का मजाक उड़ाने वाले लोग यह भूल जाते हैं कि देश के आठ करोड़ परिवारों की आजीविका ऐसे ही पशुधन से चलती है।
 


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Content Writer

Ramkesh

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