प्रयाग मेले में बिछड़े 14 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को खोया-पाया केन्द्र ने परिजनों से मिलाया

punjabkesari.in Monday, Jan 15, 2018 - 02:34 PM (IST)

इलाहाबाद: गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के तट पर बसने वाली अस्थायी तम्बुओं की आध्यात्मिक नगरी ‘माघ मेले’ में खोया-पाया केन्द्र ने अब तक 14 लाख से अधिक भूले-भटके श्रद्धालुओं को उनके परिजनों से मिलवाया हैै।  

भारत सेवा दल ‘खोया-पाया’ केन्द्र के अध्यक्ष मूल चन्द्र तिवारी ने आज संगम क्षेत्र में स्थित कैंप में बताया कि केन्द्र के संस्थापक और उनके पिता स्वर्गीय राजाराम तिवारी ने इसकी स्थापना वर्ष 1946 के मेले में की थी। उन्होंने बताया खोया पाया केन्द्र ने वर्ष 1946 से अब तक 14 लाख तीन हजार 929 महिला-पुरूष श्रद्धालुओ को अपने परिजनों से मिलाने का कार्य किया है। 

प्रतापगढ के गौरा निवासी तिवारी ने बताया कि इसके अलावा मेले में अपने परिजनों से बिछड़े 21 हजार से अधिक नन्हें-मुन्ने को मिलाया। मेला क्षेत्र में स्थापित खोया-पाया केन्द्र भूले-भटके श्रद्धालुओं को मिलवाने में अहम योगदान निभा रहा है। मेले में अपनों से बिछड़े असहाय हजारों लोगों को संस्था ने अपने खर्चे से उनके मूल स्थान तक भिजवाने का भी कार्य किया है।  

संस्था के अध्यक्ष ने बताया कि इस वर्ष पौष पूर्णिम स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं में से बिछड़े करीब 1000 हजार (महिला-पुरूष) को अपनों से मिलाने का काम किया है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के चार महिला, दो पुरूष और एक किशोर को रेल-बस टिकट का किराया, रास्ते का खाना, ओढने के लिए कम्बल अपने निजी खर्चें से व्यवस्था कर उन्हें उनके मूल स्थान पर भिजवाया।  

उन्होंने बताया कि मेले में खोये हुए व्यक्ति के बारे में लगातार लाउडस्पीकर पर उद्घोष किया जाता है। परिजनों से बिछड़े लोग उद्घोष सुन कर बताये गये स्थल ‘खोया-पाया’ केन्द्र पर पहुंचते हैं। परिजनों से पुन: मुलाकात कर अपना आभार प्रकट करते हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्य से उन्हें शांति मिलती है।