भेदभाव की हद: दलितों के हाथ का बना खाना खाने से गर्भवती महिलाओं ने किया इंकार

punjabkesari.in Saturday, Aug 06, 2016 - 05:18 PM (IST)

पीलीभीत(विकास सक्सेना): आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद भी हमारे देश में छूआछूत और भेदभाव के मामले सामने आते रहते है। ऐसा ही ताजा मामला उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में सामने आया है। जहां सरकार द्वारा आयोजित ‘हौसला पोषण योजना’ मिशन के तहत आंगनबाड़ी केन्द्र पर गर्भवतियों के लिए खाना बनाया गया था। केंद्र पर पहुंची कुछ गर्भवती महिलाओं ने ये कहकर खाना खाने से इंकार दिया कि भोजन एक दलित कार्यकत्री द्वारा तैयार किया गया है। 

 
ब्लॉक अमरिया क्षेत्र के गांव धनकुआ गांव में दो आंगनबाड़ी केन्द्र पर खाना बनाया गया। लेकिन एक केन्द्र पर पहुंची पंजीकृत सभी 18 गर्भवती महिलाओं ने खाना खाने से यह कहकर इंकार कर दिया कि खाना दलित महिला के हाथ का बना हुआ है। वहां मौजूद ग्राम प्रधान रईस सहित कई गांव के सभ्य लोगों ने महिलाओं को समझाने का भी प्रयास किया लेकिन गर्भवती महिलायें बिना खाना खाये ही आंगनबाड़ी केन्द्र से चली गई। मामला जब जिलाधिकारी मासूम अली सरवर के संज्ञान में आया तो उन्होंने एक टीम का गठन कर मामले की जांच करने के लिए भेजा है।
 
दलित महिला आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने जताया दुख
जब इस मामले में दलित आंगनबाड़ी कार्यकत्री ममता देवी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि महिलाओं ने हमारे हाथ का बना खाना खाने से इंकार कर दिया। दूसरी दलित आंगनबाड़ी कार्यकत्री आशा देवी से बात की गई तो उन्होंने भी गर्भवती महिलाओं द्वारा भेदभाव के चलते खाना न खाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस तरह के भेदभाव से उन्हें काफी दुख हुआ है। 
 
भेदभाव की वजह से नहीं खा रही खाना 
वहीं जब ग्राम प्रधान से इस मामले में बात की गई तो उन्होंने भी जाति प्रथा का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं ने दलित आंगनबाड़ी कार्यकत्री के हाथ का बना खाना खाने से साफ इंकार दिया और केंद्र से चली गईं। 
 
क्या कहती हैं गर्भवती महिला?
एक महिला गर्भवती से खाना न खाने की वजह पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि उनकी मर्जी है खाना खाएं या फिर न खाएं। महिला ने खुद के द्वारा खाना बनाकर खाने की बात कही।