चुनाव से पहले बसपा को बड़ा झटका, विधायक राजेश त्रिपाठी ने छोड़ी पार्टी

punjabkesari.in Friday, Jun 10, 2016 - 01:28 PM (IST)

गोरखपुर: आगामी विधानसभा चुनाव में बहुमत का सपना देख रही बहुजन समाज पार्टी को बड़ा झटका लगा है। बसपा के थेचिल्लूपार विधायक व पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी ने पार्टी से असंतुष्ट होकर पार्टी छोड़ दी है। विधायक ने बसपा कार्यकर्ताओं को एक बहुत ही मार्मिक पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है और उनका शुक्रिया भी अता किया है। विधायक के पार्टी छोडऩे के बाद आगे की क्या रणनीति है इसका उन्होंने खुलासा नहीं किया है। हालांकि विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। 
 
बाहुबलि पंडित हरिशंकर तिवारी को हराकर सबको हैरान
बताते चलें कि पेशे से पत्रकार रहे राजेश त्रिपाठी बड़हलगंज में बने ऐतिहासिक मुक्तिपथ के निर्माण से चर्चा में आए। इसके बाद 2007 में चिल्लूपार सीट से बसपा से चुनाव लड़ा। उन्होंने इस सीट पर अपराजेय माने जाने वाले बाहुबलि पंडित हरिशंकर तिवारी को हराकर सबको हैरान कर दिया। बसपा सरकार ने उनकी इस जीत के पुरस्कार स्वरूप उन्हें मन्त्री पद से भी नवाजा था। मुक्तिपथ वाले बाबा राजेश त्रिपाठी ने सपा की लहर में भी जीत हासिल कर बसपा के चिल्लूपार की सीट की सौगात दी।
 
इसलिए पार्टी छोडऩे का किया फैसला
राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि इस बार बसपा उनको दरकिनार कर पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के परिवार से कैंडिडेट उतारने जा रही थी। इस सूचना से विधायक राजेश काफी आहत भी थे। उनके नजदीकी लोगों का मानना है कि जिस व्यक्ति को लोग अपराजेय मान चुके थे, उसे अपने कार्यकर्ताओं के बल पर ही राजेश त्रिपाठी ने हराया। अब उसी व्यक्ति को अगर बसपा लाएगी तो कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता। ऐसे में उन्होंने पार्टी से किनारा करने का निर्णय लिया है।
 
 
बसपा से किनारा करने के बाद कार्यकर्ताओं को दिया संदेश
प्रियवर, 
जयमहाकाल!
मिल रही सटीक सूचनाओं के आधार पर दिल से मुझे चाहने वाले बसपा के अपने साथियों से क्षमा मांगते हुए भारी मन से हम उस पार्टी से विदा लेना चाह रहे हैं, जिसकी आप सभी के भरोसे दस साल अपनी जान पर खेलकर सेवा की। जो सीट कभी अपराजेय मानी जाती थी, वह सीट आपके आशीर्वाद से जीत के लिए तरसती पार्टी की झोली में पड़ी। जिसके लिए दो-दो बार हमारी हत्या के लिए सुपारी दी गई चारित्रिक हनन का असफल प्रयास हुआ हम आज उसे तिलांजलि देने जा रहे हैं।
 
महर्षि अष्टक के सिद्धांत ‘जीवन एक सूखा पत्ता है, नियति रूपी हवा का झोंका उस सूखे पत्ते को कहा ले जाएगा, वह पत्ता नहीं जानता नियति का वह झोंका उसे किसी मंदिर में देवता के चरणों में पटक देगा, या किसी श्मशान की जलती चिता में झोंक देगा, या फिर किसी बजबजाती नाली के कीड़ों के साथ सडऩे को विवश करेगा, या फिर किसी किसी सत्ता सिंहासन तक उड़ाता हुआ पहुंचा देगा सूखे पत्ते को कुछ नहीं पता।
 
इसको स्वीकार कर अपने को सूखा पत्ता मानते हुए नियति के और आपके हवाले करता हूं।
आपका
राजेश त्रिपाठी मुक्तिपथ वालेे बाबा
विधायक चिल्लूपार व पूर्व राज्यमंत्री