साधुओं और तीर्थयात्रियों के लिए वरदान बना गीता आश्रम, नित्य भोजन की व्यवस्था से गदगद हुए श्रद्धालु

punjabkesari.in Saturday, Nov 21, 2020 - 03:34 PM (IST)

मथुरा: राधारानी की नगरी वृन्दावन में गीता के प्रकाण्ड विद्वान एवं परोपकार का आदर्श उपस्थित करने वाले परम तपस्वी ब्रम्हलीन संत स्वामी गीतानन्द महाराज का गीता आश्रम तीर्थयात्रियों के लिये उदरपूर्ति का सहारा बना हुआ है। महान संत की षोडस पुण्य तिथि 22 नवम्बर को मनाई जायेगी। संत के द्वारा गीता आश्रम वृन्दावन में शुरू किया गया अन्न क्षेत्र कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान भजनानन्दी साधुओं और तीर्थयात्रियों के लिए वरदान बन गया है हालांकि लगभग तीन दशक से अधिक समय से इस आश्रम में भजनानन्दी साधुओं के लिए अन्न क्षेत्र चलाकर उनके नित्य भोजन की व्यवस्था लगातार की जा रही है पर लाक डाउन के समय से तो यह तीर्थयात्रियों के लिए भी उदरपूर्ति का सहारा बना हुआ है।

वृन्दावन की पावन धरती तपस्वी संतों के लिए चुम्बक का काम करती रही है। स्वामी हरिदास, प्रभु बल्लभाचार्य, चैतन्य महाप्रभु, देवरहा बाबा, आनन्दमई मां, बाबा चन्दमादास, श्रीपाद बाबा, स्वामी वामदेव महराज, हरिमिलापी जी महाराज, स्वामी लीलानन्द ठाकुर जैसे महान तपस्वियों ने यहां आकर विभिन्न प्रकार के कार्य किये। किसी ने धर्म क्षेत्र चुना तो किसी ने दान का क्षेत्र, किसी ने चिकित्सा का क्षेत्र चुना तो किसी ने शिक्षा का क्षेत्र चुना लेकिन स्वामी गीतानन्द महाराज ने इन सभी क्षेत्रों में कार्य कर समाज के हर क्षेत्र की सेवा कर स्वयं ''भिक्षु '' कहलाना ही पसन्द किया।

सामान्यतया आश्रमों के महन्त भक्तों के दान को आश्रम के वैभव एवं सुविधाओं में लगाते हैं पर इस सन्त ने उससे ऊपर उठकर भी ऐसा कार्य किया जिससे प्रभावित होकर पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी के मुंह से बरबस ही निकल पड़ा था कि ‘काश देश के प्रति यही भाव देश के अन्य संतों में आ जाये'। इस प्रसंग का जिक्र करते हुए स्वामी गीतानन्द महराज के परम शिष्य एवं गीता आश्रम वृन्दावन के संचालक महामण्डलेश्वर डा अवशेषानन्द महराज ने बताया कि कारगिल यु़द्ध के समय इस महान संत ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रीय रक्षा कोष के लिए जब 11 लाख की थैली भेंट की थी तो भावुक होकर पूर्व प्रधानमंत्री के मुंह से उक्त शब्द निकल पड़े थे।

उन्होंने अपने इस शिष्य के अन्दर भी वैसे ही संस्कारो का बीजारोपण किया जिसके कारण इस शिष्य ने कोरोनावायरस के संक्रमण के दौरान भी अपने गुरू के द्वारा प्रारंभ किये गए ‘अन्न क्षेत्र' प्रकल्प को अपने जीवन को भी खतरे में डालकर बिना किसी रूकावट के जारी रखा और आज भी जारी है। ब्रम्हलीन संत स्वामी गीतानन्द महराज ने जहां वृद्ध लोगों के लिए वृद्धाश्रम की स्थापना की तो विद्यार्थियों के लिए संस्कृत पाठशालाओं की स्थापना की , गरीबों की चिकित्सा के लिए औषधालय खोले तो लोगों को गो सेवा के लिए प्रेरित करने के लिए आदर्श गोशालाएं स्थापित की। 

 


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Moulshree Tripathi

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