जिसने बनाया ये संसार, योगी के अधिकारी मांग रहे उसी का ''आधार''

punjabkesari.in Sunday, Jun 06, 2021 - 06:05 PM (IST)

बांदाः यूपी के बांदा जिले के एक अधिकारी का फरमान पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। एसडीएम अतर्रा सौरभ शुक्ला ने कहा है कि मठ मंदिर की जमीनों में हुई फसलों को बेचने के लिए भगवान का आधार कार्ड लाना अनिवार्य होगा। एसडीएम साहब का ये फरमान जिसने भी सुना वह हैरान रह गया।

इस बारे में एसडीएम अतर्रा सौरभ शुक्ला कि हां यह नियम मैंने लागू किया है और यह नियम लागू रहेगा अपना पक्ष रखने के लिए जब कहा तो बात को घुमाते फिराते आते नजर आए और सोमवार का समय एसडीएम साहब ने मिलने के लिए दिया है. लेकिन फोन में जो बात रिकॉर्ड हुई है बात करने के दौरान  उसमें SDM साहब साफ तौर पर कह रहे हैं कि इंसान हो चाहे भगवान अगर फ़सल बेचनी है तो आधार जरूरी होगा संरक्षण का नही बल्कि जिसके नाम जमीन होगी।

बता दें पूरा मामला अतर्रा तहसील के खुरहड गांव से सामने आया है। जनपद में लगभग 50 मंदिर है और मठ है, जैसे श्री राधा कृष्ण मंदिर, हनुमान मंदिर, रामसीता मंदिर देवियों के मंदिर देवताओं के मंदिर जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में बने हुए हैं। मंदिरों मे पूजा पाठ करने वाले साधु संत पुजारी उस जमीन में खेती-बाड़ी करके अपने लिए खाने को अनाज पैदा करते हैं और जो बची हुई फसल होती है उसको मंडी में सही दामों पर बेचकर उसी पैसे से मंदिर का विकास और मंदिर के बीके तमाम कार्यो को करते हैं अतर्रा तहसील के गिरवां थाना क्षेत्र के खुरहड गांव के रहने वाले एक पुजारी है।

जिला प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े करते हुए आरोप लगाया है कि मंदिर की जमीन में हुई फसल को बेचने जब रामचंद्र महाराज राम राम जानकी मंदिर के संरक्षक मंडी फसल बेचने के लिए पहुंचे तो उनकी फसल लेने से अधिकारियों ने मना कर दिया और बताया कि एसडीएम अतर्रा सौरभ कुमार शुक्ला का आदेश है कि बिना आधार कार्ड के किसी भी व्यक्ति की फसल नहीं खरीदी जाएगी जिसके बाद रामचंद्र महाराज को यह बात हजम नहीं हुई और मंदिर के पुजारी एसडीएम साहब के ऑफिस पहुंच गए और SDM साहब से पूरे मामले में बातचीत की, लेकिन एसडीएम साहब फिर वही बात दोहराते हुए कह रहे हैं कि भगवान हो चाहे इंसान अगर फसल बेचनी है तो आधार कार्ड लाना जरूरी होगा।

राम जानकी मंदिर के पुजारी महंत राम कुमार दास ने कहा है कि अगर भगवान का आधार कार्ड नहीं बना तो मंदिर के खेतों मे हुई फसल को हम लोग नहीं बेच पाएंगे। ऐसे में मठ मंदिर कैसे चल पाएंगे मठ मंदिरों को चलाने के लिए और अपना खुद का पेट भरने के लिए जो फसल पैदा करते हैं उसके बाद भी मंदिर में तमाम खर्चे ऐसे होते हैं जिनको करना मजबूरी होती है, लेकिन एसडीएम साहब के जवाब से हम खुद परेशान है कि आखिरकार बांदा जनपद के तमाम मठ मंदिरों में रहने वाले पुजारी जो भगवान की पूजा करते हैं अब वह अपनी फसलें कैसे बेचेंगे क्योंकि भगवान का तो आधार बनना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 


 


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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