दुखभरी कविता के साथ एक बार फिर छलका शिवपाल यादव का दर्द

punjabkesari.in Monday, Dec 24, 2018 - 09:32 AM (IST)

इटावा: परिवारिक मतभेदों के चलते समाजवादी पार्टी (सपा) से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव भले ही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) लोहिया का गठन कर चुके हो लेकिन उनके मन की पीड़ा कविता के रूप में जुबां से बाहर छलक ही आई। किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर आयोजित एक समारोह मे शिवपाल ने स्वरचित एक कविता पढी ‘‘ कैसे पढ़ा कैसे चला क्या क्या किया कैसे किया यह सबको पता है। किसी से क्या कहूं मैं होकर बड़ा शहर में चला और ऐसे ढाला वैसे ढला दौर था काला घना है मैं तब भी न डरा धूप में बरसात में काली अंधेरी रात में संग-संग चला दुश्मन से लड़ा हूं। आज भी संग उनके खड़ा अब और क्या करूं मैं वो मंजर याद है कुचला भी गया रौंदा भी गया क्या अपराध था यही अपराध था कि मैं उनके साथ खड़ा और क्या क्या सहू मैं क्या चुप रहूं।

प्रसपा प्रमुख ने कहा कि चौधरी चरण सिंह देश के अर्थशास्त्री थे। उन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए संघर्ष भी किया जेल भी गए। उन्हें कई बार फरार भी होना पड़ा। उन्होंने विधानसभा में मंत्री, मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री के रूप में किसानों का सदैव ख्याल रखा इसीलिए वे किसान नेता के रूप में हमेशा याद किए जाते हैं। यादव ने कहा कि हमें चौधरी साहब के आदर्शों पर चलना उन्हें प्रेरणा मानकर जीवन जीना है। चौधरी साहब अनुशासनशील थे। उनकी आवाज पर देश का किसान निकल पड़ता था। उनकी विरासत को नेता जी (मुलायम) ने भी बहुत बढ़ाया है।

उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि किसानों को समर्थन मूल्य सरकार निश्चित करती उतना भी नहीं मिल पाता है। सरकार और नौकरशाही अगर चाहे तो किसानों को समर्थन मूल्य से ज्यादा कीमत मिल सकती है। आज देश और प्रदेश में सबसे ज्यादा बेईमानी नौकरशाह ही करते है। कई मंत्री भी बेईमान हुए है। इस मौके पर प्रसपा की सदस्यता ग्रहण करने वाली देश की नामचीन कवियत्री अनामिका अंबर जैन ने मेरठ से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की जिस पर यादव ने अपनी सहमति प्रदान करते हुए साफ किया कि वे उन्हें चुनाव भी लड़ाएंगे और पार्टी में पद भी प्रदान करेंगे।

Anil Kapoor